इस वर्ष काली मिर्च की कीमतों में रहेगी लाली | जॉर्ज जोसेफ / कोच्चि August 27, 2014 | | | | |
काली मिर्च का वैश्विक स्टॉक, विशेष रूप से वियतनाम में घट रहा है, जिससे चालू वर्ष की शेष अवधि में कीमतें मजबूत रहने की संभावना है। हालांकि पिछले कुछ सप्ताह के दौरान भारतीय बाजार में कीमतें नरम हुई हैं। लेकिन वैश्विक बाजारों में कीमतें मजबूत हुई हैं, क्योंकि ब्राजील, इंडोनेशिया और वियतनाम में कीमत ऊंची बोली जा रही है।
पिछले कुछ महीनों के दौरान श्रीलंका से भारत के आयात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। स्थानीय बाजार श्रीलंका की सस्ती काली मिर्च से अटे पड़े हैं। यह घरेलू बाजारों में कीमतें घटने की मुख्य वजह है। स्थानीय कारोबारियों, विशेष रूप से दिल्ली और मुंबई के कारोबारियों ने श्रीलंका से रियायती आयात शुल्क (12 फीसदी) का फायदा उठाते हुए करीब 600 टन काली मिर्च का आयात किया है। यूरोपीय खरीदार ब्राजील से आयात ज्यादा पसंद करते हैं। ब्राजील में अभी कटाई चल रही है और वहां फिलहाल भाव 10,000 डॉलर प्रति टन बने हुए हैं।
इस सीजन में ब्राजील में उत्पादन 30,000 से 32,000 टन के बीच रहने का अनुमान है। प्रमुख निर्यातकों के मुताबिक इस बार इंडोनेशिया में कम उत्पादन 15,000 से 22,000 टन के बीच रहेगा। इस कारण इंडोनेशिया में कीमत 10,400 से 10,500 डॉलर प्रति टन बोली जा रही है। इंडोनेशिया में सफेद मिर्च का भाव 14,000 डॉलर प्रति टन चल रहा है।
वियतनाम पेपर एसोसिएशन (वीपीए) के ताजा निर्यात आंकड़ों के मुताबिक देश ने इस साल जनवरी से जुलाई तक 1,20,662 टन काली मिर्च का निर्यात किया। इससे संकेत मिलता है कि वहां स्टॉक कम है। वियतनाम में 15 से 20 हजार टन काली मिर्च का स्टॉक उपलब्ध होने का अनुमान है। नया सीजन जनवरी में शुरू होगा, इसलिए वियतनाम में कीमत 10,200 डॉलर से 10,250 डॉलर प्रति टन तक की ऊंची कीमत बोली जा रही है।
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