अवैध योजना के जरिये लोगों से धन एकत्र करने की योजनाओं के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए बाजार नियामक सेबी ने पीएसीएल लिमिटेड की 50,000 करोड़ रुपये की योजना पर आज तत्काल रोक लगा दी। नियामक ने इस इकाई को तीन महीनों के भीतर निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया है। समझा जाता है कि सामूहिक निवेश योजना के जरिये कंपनी ने करीब 50,000 करोड़ रुपये जुटाए हंै। इसके अलावा, सेबी ने कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय के एक दिशानिर्देश के अनुसार कंपनी तथा निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी तथा व्यापार में अनुचित व्यवहार करने और सामूहिक निवेश योजनाओं के बारे में सेबी के नियमों के उल्लंघन के आरोप में आगे की कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। सेबी ने इस संबंध में 92 पृष्ठ का आदेश जारी किया है। इसके अनुसार कंपनी ने खुद स्वीकार किया है कि उसने 49,100 करोड़ रुपये जुटाए हैं और अगर पीएसीएल एक अप्रैल 2012 से 25 फरवरी 2013 के बीच जुटाए गए कोष का पूरा ब्योरा दे तो यह राशि और भी अधिक हो सकती है। जिन निवेशकों से यह राशि जुटाई गई, उनकी संख्या करीब 5.85 करोड़ है। इनमें वे ग्राहक भी शामिल है। जिन्हें जमीन आवंटित करने की बात कही गई थी और उन्हें अभी तक जमीन नहीं दी गई। अवैध तरीके से धन जुटाने के मामलों में यह न केवल राशि के लिहाज से बल्कि निवेशकों की संख्या को लेकर भी सबसे बड़ा मामला है। अन्य के अलावा पीएसीएल तथा निर्मल सिंह भांगू समेत उसके शीर्ष कार्यकारियों के खिलाफ सीबीआई भी जांच कर रही है। साथ ही यह सेबी की जांच के घेरे में पुराने मामलों में से एक है। नियामक ने 16 साल पहले फरवरी 1998 में पीएसीएल को कहा था कि वह न तो कोई योजना शुरू कर सकती है और न ही अपनी मौजूदा योजनाओं के तहत कोष जुटा सकती है। कंपनी ने अपनी दलील में कहा कि वह कोई अवैध योजना नहीं चला रही है और जमीन की खरीद-बिक्री में शामिल है। सेबी ने इस मामले में 1999 में पीएसीएल को नोटिस जारी किया था। बाद में मामला अदालतों में गया।
