अयंगार के साथ खत्म योग का 'युग' | इंदुलेखा अरविंद / नई दिल्ली August 20, 2014 | | | | |
विश्वविख्यात योग गुरु और अयंगार स्कूल ऑफ योग के संस्थापक बीकेएस अयंगार ने वर्ष 2002 में न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा था कि योग ने उन्हें 65 सालों का बोनस दिया है क्योंकि बचपन में कई बीमारियों से घिरे रहने के कारण बचपन में डॉक्टरों को यह उम्मीद नहीं थी कि वह 20 साल की उम्र से ज्यादा जी पाएंगे। लेकिन उन्होंने एक लंबी जिंदगी जी और बुधवार को तड़के पुणे के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। 95 वर्षीय अयंगार कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अयंगार के निधन से भारत के महान योग गुरुओं का एक युग अब खत्म होने के कगार पर है। उनके समकालीन और कर्नाटक में जन्में पट्टाभि जॉयस का निधन भी 2009 में हो गया था। दोनों ने टी. कृष्णमाचार्य से योग की दक्षता हासिल की थी लेकिन जॉयस का दावा था कि अयंगार उनके शिष्य थे। हालांकि अयंगार ने इस बात को स्वीकार नहीं किया।
कर्नाटक में बेंगलूर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर कोलार जिले के बेल्लूर गांव के एक गरीब परिवार में अयंगार का जन्म हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। बीकेएस की वेबसाइट के होम पेज के मुताबिक उन्होंने 16 साल की उम्र में कृष्णमाचार्य से योग सीखना शुरू किया और उन्हें दो साल बाद ही योग का प्रचार करने के लिए पुणे भेज दिया गया। जब वह 25 साल के हुए तो उनकी शादी रमामणि से हुई जो उस वक्त 16 साल की थीं। रमामणि का निधन 1973 में ही हो गया लेकिन उन्होंने दोबारा शादी नहीं की। उनकी पांच बेटियों और एक बेटे में से उनकी बेटी गीता और बेटा प्रशांत योग सिखाते हैं।
उन्होंने जिस योग की शिक्षा हासिल की वह अष्टांग योग की विभिन्न अवस्था पर आधारित था जो अब 'अयंगार योग' के नाम से जाना जाता है इसमें स्पष्ट मुद्रा पर जोर दिया जाता है और इसमें बेल्ट और रस्सी जैसे चीजों का अवलंब के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। योग की इसी शैली की वजह से अयंगार को अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्याति और शिष्य मिले और अब पूरी दुनिया में उनके 70 योग केंद्र हैं। योग पर उनकी कृति वर्ष 1966 में 'लाइट ऑन योग' शीर्षक के तहत प्रकाशित हुई जिसे योग का बाइबिल सरीखा ग्रंथ माना जाता है। इसमें करीब 600 चित्र और विस्तारपूर्वक 200 मुद्राएं करने का निर्देश दिया गया है। इसका अनुवाद विभिन्न भाषाओं में किया गया है। उन्हें योग का प्रचार-प्रसार पश्चिमी देशों में करने और वहां इसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है। मशहूर अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भी उनके मार्गदर्शन में योग सीखा। कई रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी पहली मशहूर अंतरराष्ट्रीय हस्ती वायलिन के दिग्गज उस्ताद येहुदी मेनुहिन थे जिन्होंने मुंबई में वर्ष 1952 में उनसे मुलाकात की थी और फिर उन्होंने अयंगार का परिचय विदेश में अन्य लोगों से भी कराया।
देश में उनके प्रशंसकों में समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण और भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी थे। अपने जीवनकाल में ही अभूतपूर्व व्यक्ति कहलाने वाले अयंगार को कई पुरस्कार भी मिले जिनमें पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार भी शामिल हैं। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी दौर तक कठोर और अनुशासित दिनचर्या का पालन किया। इस साल की शुरुआत में उनके आश्रम ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था कि वह हर रोज सुबह चार बजे उठ जाते हैं और डेढ़ घंटे तक प्रणायाम और फिर 9 बजे से वह तीन घंटे साधना करते हैं और इसी दौरान वह छात्रों को निर्देश भी देते हैं। एक घंटे दोपहर में आराम करने के बाद वह लोगों से मुलाकात, मेल का जवाब देने और छात्रों से संवाद करने का वक्त भी निकालते थे। शाम का वक्त वह परिवार के सदस्यों के साथ बिताते थे और संगीत सुनने के साथ ही टीवी भी देखते थे।
उनकी मौत की खबर आने के बाद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है। करीब 30 सालों से बीकेएस को जानने वाले आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'बीकेएस अयंगार एक परंपरावादी व्यक्ति थे और उन्होंने जो कुछ भी किया उसे संपूर्ण तरीके से किया। उनकी सनातन धर्म के प्रति गहरी आस्था थी।' कई लोगों ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए उनके ही शब्दों में ट्वीट किया है, 'मेरी यह अकांक्षा है कि मेरा अंत आपके लिए प्रारंभ हो।' सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विश्व विख्यात योग गुरू बीकेएस अयंगार के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने उन्हें 'भारतीय योग की महान हस्ती' करार दिया। जावड़ेकर ने शोक संदेश में कहा, 'भारतीय योग की महान हस्ती को मेरी श्रद्धांजलि। उन्होंने पुणे को योग की राजधानी बनाया और इसे विश्व में हर जगह पहुंचाया।' कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी उनके निधन पर शोक प्रकट किया और उन्हें 'योग के क्षेत्र का चमकता सितारा' बताया।
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