कम अवधि या एक दिन पहले बिजली की खरीद गति पकड़ रही है। इस तरह के कारोबार से जुड़ी फर्मों ने सरकार से कहा है कि पारेषण संबंधी बाधाएं दूर की जानी चाहिए, साथ ही बिजली अधिनियम के साथ प्रक्रिया में सुधार पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। पिछले 5 साल के दौरान एक दिन पहले के बाजार में बिजली की दरों में 26 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि बिजली बिक्री की मात्रा में 90 प्रतिशत की महत्त्वपूर्ण बढ़ोतरी हुई है। मौसमी उतार चढ़ाव, बिजली के अप्रतिस्पर्धी दाम और वितरण कंपनियों द्वारा अपनी सही सही मांग का अनुमान लगाने में अक्षमता जैसी वजहों से राज्य सरकारों को कम अवधि के लिए बिजली खरीदनी पड़ रही है। केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) को भेजे एक नोट में भारत के प्रमुख पावर एक्सटचेंज इंडिया एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) ने कम अवधि की बिजली की आपूर्ति के लिए समर्पित पारेषण क्षमता मुहैया कराने को कहा है। नोट में कहा गया है, 'पारेषण क्षमता में कमी की वजह से ज्यादातर उपभोक्ताओं और बिजली वितरण कंपनियों को छोडऩा पड़ रहा है। समय से बिजली मुहैया कराने का कोई विकल्प नहीं है। पारेषण क्षमता में कमी से बिजली वितरण कंपनियों और उद्योगों के सामने दोहरा संकट है, जिसके चलते राज्य के भीतर या राज्य के बाहर से बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कहाई जा सकती।' देश में निकासी की व्यवस्था दीर्घावधि बिजली पारेषण से संचालित होती है। कम अवधि के लिए बिजली का कारोबार जोर पकड़ रहा है, ऐसे में पारेषण में बाधा की वजह से बिजली की अधिकता वाले इलाकों से बिजली की कमी वाले इलाकों में आपूर्ति नहीं की जा सकती। पारेषण में संकट की वजह से सभी उपभोक्ताओं की मांग पूरी करने में संकट होता है। ऐसे में, जबकि देश में बिजली का उत्पादन अतिरिक्त होता है, पावर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर इसकी बिक्री नहीं हो पाती। आईईएक्स ने वित्त वर्ष 2014 में कहा था कि पारेषण व्यवस्था में खामी की वजह से 14,5,300 मिलियन यूनिट बिजली की बिक्री नहीं हो सकी। एक्सचेंज ने यह भी सुझाव दिया है कि दीर्घ अवधि, मध्यावधि और कम अवधि के हिसाब से पारेषण क्षमता की बुकिंग के लिए तरीका विकसित किया जाना चाहिए, ऐसे में कम से कम 20-30 प्रतिशथ बिजली कम अवधि की बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। इस समय कुल बिजली उत्पादन में से सिर्फ 9 प्रतिशत बिजली कम अवधि की बिक्री के लिए उपलब्ध है।
