आंध्र की हल्दी उगाएंगे बस्तर के किसान | बीएस संवाददाता / जगदलपुर August 08, 2014 | | | | |
मसाला उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हल्दी की खेती को लेकर उद्यानिकी विभाग सक्रिय हुआ है। एग्रो आंध्र से 48.50 रुपये की दर पर कंद खरीदकर मुफ्त में किसानों को बांटा जाएगा। बस्तर के आदिवासी किसान धान व मिर्च की व्यावसायिक खेती के बाद अब हल्दी की खेती से लाभ कमाएंगे। इसके लिए इन्हें नि:शुल्क बीज दिए जाएंगे। इसके साथ ही समय-समय पर अधिकारी तथा वैज्ञानिक फसल का निरीक्षण करेंगे।
उद्यानिकी विभाग के तकनीकी अधिकारी एके दुबे ने बताया कि सीमाई प्रांत ओडि़शा में बड़े पैमाने पर हो रही खेती को देखते हुए बस्तर जिले में इसकी खेती करने की तैयारी चल रही है। इसका कारण यहां के मौसम व मिट्टी का इसके अनुरूप होना है। किसानों को यह आदिवासी विकास परियोजना के तहत मसाले की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एग्रो के माध्यम से बीज दिया जा रहा है। आदिवासी हल्दी का उपयोग शादी व अन्य आयोजनों में सामान्य वर्ग से अधिक करते हैं।
शासन ने हल्दी की खेती का लाभ बीपीएल स्तर के आदिवासी किसानों तक ही सीमित रखा है। बस्तर जिले में अब भी 50 फीसदी खेती मानसून पर निर्भर है। सिंचाई की सुविधा केवल सक्षम किसानों तक सीमित है। योजनाओं में बांटे गए पंप अब केरोसिन व डीजल के बढ़ते दामों के चलते उपयोग में कम ही आते हैं।
एग्रो से मिले कंद को बांटने के लिए 7 ब्लॉकों में 10 क्लस्टर बनाए गए हैं। हर क्लस्टर में 15 आदिवासी किसानों का चयन कर सभी को 123 किलोग्राम हल्दी मुफ्त में दी जाएगी। तकनीकी प्रभारी ने बताया कि कंद को 48.50 रुपये प्रतिकिलो की दर पर खरीदा गया है। अब तक सातों ब्लॉक में 595 हेक्टेयर में हल्दी की खेती की जा रही है। इसका उत्पादन 4 हजार मीट्रिक टन हो रहा है। यह स्थिति तब है, जब अधिकतर आदिवासी किसान घर की बाडिय़ों में ही खुद के उपयोग के लिए इसकी खेती कर रहे हैं।
उद्यानिकी वैज्ञानिक एमएस पैकरा ने कहा कि बस्तर जिले की मिट्टी और जलवायु दोनों हल्दी की खेती के लिए अनुकूल है। किसान अधिक से अधिक रकबे में इसकी खेती कर इसका लाभ ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्नत बीजों के उपयोग से किसानों को बड़े पैमाने पर फायदा मिलेगा। खेती को बढ़ावा देने उपसंचालक उद्यानिकी से चर्चा की जाएगी।
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