ओएनजीसी ने हिस्सेदारी की बिक्री पर आपत्ति जताई | भाषा / नई दिल्ली July 17, 2014 | | | | |
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) चाहती है कि सरकार कंपनी में 3 अरब डालर की हिस्सेदारी बिक्री से पहले ईंधन सब्सिडी भागीदारी व प्राकृतिक गैस का मूल्य निर्धारण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करे। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में ओएनजीसी में अपने 42.77 करोड़ शेयर या 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है।
मौजूदा बाजार मूल्य पर सरकार को इससे 17,400 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति हो सकती है। नई सरकार द्वारा पहला विनिवेश बजट घाटे को कम करने की उसकी योजना का हिस्सा है। हिस्सेदारी बिक्री पर टिप्पणी करते हुए ओएनजीसी ने पेट्रोलियम मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि इस चरण में कोई विनिवेश कंपनी के शेयरों को उनके निवेश का वास्तविक मूल्य नहीं दिला सकता है।
ओएनजीसी ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर ईंधन बिक्री की भरपाई के लिए उसका भुगतान 2013..14 में बढ़कर 56,384 करोड़ रुपये पहुंच गया जो 2011-12 में 44,466 करोड़ रुपये था।
कंपनी ने कहा, 'ओएनजीसी मौजूदा भागीदारी व्यवस्था की समीक्षा करने का मंत्रालय से अनुरोध करती रही है ताकि देश में तेल व गैस भंडारों की खोज एवं वैश्विक बाजार में परिसंपत्तियों के अधिग्रहण के लिए आवश्यक धन एकत्र करने हेतु कम से कम 65 डालर प्रति बैरल मूल्य की वसूली सुनिश्चित हो सके।'
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