हंसी नहीं है लोगों को हंसाना | सायंतनी कर और उर्वी मलवाणिया / मुंबई June 20, 2014 | | | | |
बेहतरीन कॉमेडी शो लाने की जुगत में लगे हैं कमोबेश सभी सामान्य मनोरंजन चैनल, लेकिन आसान नहीं है उनका रास्ता। बता रही हैं सायंतनी कर और उर्वी मलवाणिया
हंसी-ठहाकों के कार्यक्रमों की बात करें तो सामान्य हिंदी मनोरंजन चैनल (जीईसी) इस मैदान में कुछ खास झंडे नहीं गाड़ सके हैं। किसी जमाने में यहां 'जबान संभाल के' और 'हम पांच' जैसे हास्य भरे धारावाहिक आ चुके हैं, जिनकी याद आज भी हमें मुस्कराने पर मजबूर कर देती है। कुछ अरसा पहले तक 'खिचड़ी' और 'साराभाई वर्सज साराभाई' धारावाहिक भी धूम मचा रहे थे। लेकिन अब हास्य धारावाहिक हिंदी मनोरंजन चैनलों की सबसे कमजोर कड़ी साबित हो रहे हैं।
अलबत्ता कलर्स पर जब से 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' शो शुरू हुआ है, एक के बाद एक कॉमेडी शो सामान्य मनोरंजन चैनलों पर आने लगे हैं। वायाकॉम 18 के हिंदी मनोरंजन चैनल कलर्स पर जो शो आता है, उसमें 'कॉमेडी सर्कस के सुपरस्टार' के विजेता कपिल शर्मा स्टैंड-अप कॉमेडी, हंसगुल्लों और छोटे-मोटे नाट्य को मिलाकर कार्यक्रम पेश करते हैं। दो अन्य प्रमुख मनोरंजन चैनलों स्टार प्लस और जी टीवी ने भी उसी तर्ज पर कॉमेडी शो शुरू कर दिए। हालांकि स्टार प्लस का 'मैड इन इंडिया' चल नहीं पाया और बंद हो गया। अप्रैल में जी टीवी पर शुरू हुआ 'गैंग्स ऑफ हंसीपुर' भी कुछ खास नहीं कर पाया है।
कलर्स के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) राज नायक कहते हैं, 'हास्य विधा आसान नहीं है। पहले जरूर इसके कुछ कार्यक्रमों को कामयाबी मिली है। मुझे लगता है कि हरेक चैनल की ख्वाहिश कॉमेडी शो लाने की रहेगी। ऐसे ही कुछ शो कामयाब नहीं हुए हैं, लेकिन ऐसे कार्यक्रम की योजना हर किसी की है।' नायक 'नौटंकी' नाम के उस शो का जिक्र भी करते हैं, जो कॉमेडी नाइट्स से ऐन पहले आया था और पिट गया था।
असल में हिंदी मनोरंजन के मैदान में कहानियां यानी धारावाहिक ही सबसे ज्यादा प्रभावी रहे हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया की एंटरटेनमेंट ऐंड मीडिया प्रैक्टिस विश्लेषक स्मिता झा का कहना है, 'डिजिटलीकरण हो रहा है और नई विधाओं के उभरने की बात कही जा रही है, लेकिन भारतीय टीवी चैनल अब भी पारिवारिक और काल्पनिक किस्सों (फिक्शन) वाले कार्यक्रमों से भरे रहते हैं। इसीलिए बड़े प्रसारणकर्ता अब दूसरे और तीसरे चैनल भी ला रहे हैं।'
फिक्शन की राह में रोड़े
फिक्शन से हटकर बनाए जा रहे कॉमेडी शो किसी भी फिल्म के प्रचार के लिए मंच मुहैया करा सकते हैं, जहां सितारे आते हैं और नई फिल्म या शो का प्रचार करते हैं। लेकिन फिक्शन पर आधारित कॉमेडी शो को इस तरह का मौका नहीं मिल पाता।
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि भारतीय दर्शक कॉमेडी फिक्शन पसंद नहीं करते। मल्टी स्क्रीन मीडिया का चैनल 'सब टीवी' तो हास्य कार्यक्रमों के लिए ही मशहूर है। हास्य प्रधान चैनल बनने के बाद से उसने हफ्ते-दर-हफ्ते 24,000 से 26,000 जीवीटी रेटिंग हासिल की है। अब यह नया शो ला रहा है, जिसका शीर्षक है 'बड़ी दूर से आए हैं'। सब के वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष और कारोबार प्रमुख अनुज कपूर का कहना है, 'ऊंची रेटिंग पाने वाले हमारे सभी कार्यक्रमों में किरदार जाने-पहचाने लगते हैं और कहानी सीधी होती है। इसीलिए उनकी लोकप्रियता बरकरार रही है और उन्हें समर्पित दर्शक मिले हैं। बढिय़ा रेटिंग की वजह से विज्ञापनदाता भी खुश हैं।'
हालांकि सभी शो सफल नहीं रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' और 'चिडिय़ा घर' ही लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। सब के पास 'लापतागंज' और 'एफआईआर' जैसे हास्य धारावाहिक भी हैं। इस चैनल को करीब 80 विज्ञापनदाता मिले हैं, जिनके विज्ञापन खास तौर पर पुरुषों के लिए होते हैं।
हालांकि कलर्स ने भी 'पम्मी' नाम का कॉमेडी फिक्शन शो शुरू किया था, जो सफल नहीं हुआ। जी टीवी को भी अपना ऐसा एक शो बंद करना पड़ा। नायक का कहना है कि अच्छे लेखक तलाशना असली चुनौती है। वह कहते हैं, 'मैं एक पिछले एक साल से एक फिक्शन कॉमेडी शो बनाना चाह रहा हूं लेकिन मुझे सही पटकथा नहीं मिली है।' साराभाई और खिचड़ी जैसे कार्यक्रम बना चुके हैट्स ऑफ प्रोडक्शंस के जेडी मजीठिया अब 'बड़ी दूर' बना रहे हैं। उनका कहना है, 'अच्छी तरह लिखी और हास्य का पुट लिए हुई पटकथा और मंझे हुए कलाकार हास्य कार्यक्रम में जान डाल देते हैं।'
सब के शो अमूमन 1,500 से 1,800 कडिय़ों तक चले हैं। इसके उलट देसी टेलीविजन पर बीते जमाने में 'देख भाई देख', 'ऑफिस ऑफिस', 'जबान संभालके' और 'ये जो है जिंदगी' जैसे मशहूर हास्य कार्यक्रम हमेशा 100 कडिय़ों से पहले ही खत्म हो गए। नायक कहते हैं, 'विज्ञापनदाता उन्हीं शो पर रकम लगाते हैं, जिन्हें दर्शक देखते हैं। चाहे वे हास्य कार्यक्रम हों या खेल या अपराध आधारित।' झा का कहना है, 'विज्ञापनदाता किसी विशेष श्रेणी को तवज्जो नहीं देते हैं बल्कि वे किसी शो में दर्शकों की तादाद को देखते हुए विज्ञापन देते हैं।'
कपिल का हिट शो
नायक कहते हैं, 'कपिल बेहद प्रतिभाशाली हैं। प्रतिभा न होने पर कोई शो नहीं कर सकते, खास तौर पर कॉमेडी तो बिल्कुल नहीं। अपनी प्रोग्रामिंग टीम और कपिल के साथ मिलकर हमने मूल प्रारूप तैयार किया है। इसमें लगातार बदलाव भी हो रहे हैं। हमने इसमें इसमें अच्छे अदाकारों को शामिल किया, जिसे काफी सराहा गया। शो में केवल एक जज (नवजोत सिंह सिद्धू) को रखना और दर्शकों के साथ संवाद करते रहना भी सही कदम रहा।
हालांकि नायक कहते हैं कि दर्शकों और ज्यादा अदाकारों वाले लाइव शो सामान्य फिक्शन शो के मुकाबले 10 गुना महंगे होते हैं। मजीठिया कहते हैं, 'विज्ञापन के इशारों पर चलने वाले बाजार में प्रयोगधर्मिता के लिए जगह नहीं है। हो सकता है कि डिजिटलीकरण देश भर में लागू होने के बाद कॉमेडी में ज्यादा प्रयोग करने का मौका मिले।'
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