ध्रुवीकरण कांग्रेस की हार में अहम | शाइन जैकब और कविता चौधरी / नई दिल्ली May 23, 2014 | | | | |
वीरप्पा मोइली उन कुछ कैबिनेट मंत्रियों में शामिल हैं जो 2014 में चुनाव जीतने में सफल हुए हैं। शाइन जैकब और कविता चौधरी के साथ बातचीत में उन्होंने इच्छा जताई कि राहुल गांधी कांग्रेस संसदीय दल के नेता बनें। प्रमुख अंश...
कांग्रेस के कुछ लोगों का मानना है कि कीमतें बढऩे और भ्रष्टाचार के चलते कांग्रेस हारी है?
कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत को बड़े पैमाने पर मतों के ध्रुवीकरण के रूप में समझा जा सकता है। मुजफ्फरनगर दंगा एक शुरुआत थी और फिर अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। यह धर्मनिरपेक्ष दलों व कांग्रेस की विफलता है कि वे इसे समझने और इससे निपटने में नाकाम रहे। शहरी मतदाताओं पर सोशल मीडिया का असर भी बड़ा कारण रहा, जहां नीतिगत पंगुता आदि जैसे प्रचार चले।
मनमोहन सिंह ने भी कार्यसमिति की बैठक में माना कि महंगाई और भ्रष्टाचार अहम मसले थे?
भ्रष्टाचार, कीमतों में बढ़ोतरी छोटे मसले हैं, मुख्य बात ध्रुवीकरण है। अगर भ्रष्टाचार मसला होता तो येदियुरप्पा चुनाव नहीं जीतते। मैं इससे भी सहमत नहीं हूं कि सत्ता विरोधी लहर हार की वजह है।
नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल ट्विटर पर रहे, लेकिन राहुल नहीं?
हां, उन्हें (ट्विटर पर ) होना चाहिए था। आईटी क्रांति कांग्रेस लाई, लेकिन हम इसी के शिकार हो गए। सोशल मीडिया पर कांग्रेस देरी से आई।
क्या आप मानते हैं कि अमेरिकी स्टाइल प्राइमरी का विचार गलत समय पर आया?
कोई भी सुधार संपूर्ण रूप वाला होना चाहिए। कांग्रेस जैसे पुराने दल में ढांचागत सुधार लंबे समय से लंबित है। प्राइमरी लागू करना कारगर नहीं रहा क्योंकि पार्टी में चुनाव नहीं हुए। मंगलौर में जनार्दन पुजारी को टिकट दिया गया, जो 4 बार से हार रहे हैं। वहीं हर्ष (मोइली के पुत्र) को टिकट के लिए अयोग्य पाया गया, जो अनाथों के लिए स्कूल चलाते हैं। राहुल बेहतर करना चाहते थे, लेकिन व्यवस्था इसे पचा नहीं सकी। मैंने 'कांग्रेस के समक्ष चुनौतियां एवं संभावनाएंÓ के चेयरमैन के रूप में 2008 में कांग्रेस समिति को सुधार के लिए सुझाव दिया था, लेकिन उसे नहीं माना गया।
क्या सुझाव थे?
पार्टी का पुनर्गठन, कार्यसमिति सहित कांग्रेस में आंतरिक चुनाव, समितियों का चुनाव आदि प्रमुख थे। संगठन के लिए ये जरूरी सुझाव थे।
आपके राज्य कर्नाटक में कांग्रेस को 20 सीटें मिलने की आस थी, लेकिन झटका लगा?
इस बार सुनामी थी, इसलिए यह मायने नहीं रखता। भाजपा को अभी भी देश में 31 प्रतिशत मत ही मिले हैं। भाजपा को सिर्फ गणित के हिसाब से बहुमत मिला है।
हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं?
हां, यही वजह है कि तुरंत पुनर्गठन का काम शुरू कर दिया गया, जो 15-20 दिन में होगा, जिससे पार्टी इन राज्यों में चुनाव के लिए तैयार हो सके।
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