ईडी अधिकारी को न बदला जाए | भाषा / नई दिल्ली May 01, 2014 | | | | |
उच्चतम न्यायालय ने आज आदेश दिया कि 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण के मामलों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी राजेश्वर सिंह को बदला नहीं जाए। न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस मामले से संबंधित मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक सिंह अपनी जांच जारी रखेंगे। न्यायमूर्ति एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश उस वक्त दिया जब न्यायालय को सूचित किया कि सिंह को उनके मूल कैडर उत्तर प्रदेश भेजा जा रहा है।
इस बीच, सीबीआई ने न्यायालय को सूचित किया कि 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण की जांच के दौरान सामने आए एयरसेल-मैक्सिस सौदे में पूर्व संचार मंत्री दयानिधि मारन की कथित संलिप्तता के मामले में आरोप पत्र दाखिल करने के सवाल पर ब्यूरो के अधिकारियों में मतभेद है और इसलिए इस पर कानूनी राय के लिए इसे अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती के पास भेजा गया है।
जांच एजेंसी ने एयरसेल-मैक्सिस सौदे को लेकर आरोप पत्र दाखिल करने में हो रहे विलंब के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में प्रगति रिपोर्ट दाखिल की है। न्यायालय ने इस रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कहा कि अगली कार्यवाही से पहले वह अटार्नी जनरल की राय का इंतजार करेगा। न्यायालय ने इस सौदे की जांच से संबंधित फाइल के टिप्पण और रिकॉर्ड शीर्ष अदालत को सौंपने का आग्रह ठुकरा दिया। जांच ब्यूरो ने इस सौदे में चार जनवरी, 2011 को प्रारंभिक जांच शुरू की थी और नौ महीने बाद नौ अक्तूबर को उसने प्राथमिकी दर्ज की थी।
सीबीआई ने पिछले सितंबर में न्यायालय को बताया था कि उसने मारन के खिलाफ जांच पूरी कर ली है। उसने जुलाई, 2011 में न्यायालय में प्रगति रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कहा गया था कि मारन के 2004-07 में संचार मंत्री रहते हुए शिवशंकरन पर एयरसेल की हिस्सेदारी मैक्सिस समूह को बेचने के लिए दबाव डाला गया। भाजपा नेता सुब्रमणियम स्वामी ने न्यायालय को सूचित किया कि एयरसेल के शेयर विभिन्न फर्मों को बेचे जा रहे हैं और यदि एक बार शेयर बिक गए तो यह मामला निरर्थक हो जाएगा।
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