बड़े सौदों का माहिर खिलाड़ी | रघु बालकृष्णन / नई दिल्ली April 07, 2014 | | | | |
भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी सन फार्मा के अरबपति मालिक दिलीप सांघवी पिछले कुछ वर्षों से खूब वाहवाही बटोर रहे हैं और उन्हें बेहतरीन कारोबारी, साल के बेहतरीन उद्यमी, साल की बेहतरीन कंपनी आदि सम्मान दिए जा रहे हैं। 2013 में दो वित्तीय अखबारों ने सन फार्मा को साल की बेहतरीन कंपनी का खिताब दिया था। जबकि 2012 में दो बिजनेस चैनलों ने भारत की इस सबसे बड़ी दवा कंपनी को इसी प्रकार का सम्मान दिया था। 2011 में सांघवी को एक अन्य समाचार चैनल ने साल के बेहतरीन भारतीय का सम्मान दिया था। सन फार्मा और उसके प्रवर्तक दिलीप सांघवी आज निश्चित तौर पर सुर्खियों में हैं।
शायद सन फार्मा के विकास के मद्देनजर सांघवी को साल के बेहतरीन कारोबारी के रूप में चुना गया होगा। एक स्टार्ट-अप के रूप में 1983 में पहले साल सन फार्मा बिक्री 0.2 लाख डॉलर थी, जबकि 2013 तक कंपनी की हैसियत बढ़कर 19.5 अरब डॉलर (बाजार पूंजीकरण) हो गई है। मनोरोग की दवा बनाने वाली कंपनी से भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी बनने तक कंपनी की कमान एक ही व्यक्ति के हाथों में रही और वह व्यक्ति हैं दिलीप सांघवी। सांघवी पिछले 30 वर्षों से कंपनी का संचालन कर रहे हैं। उन्होंने सन फार्मा को अमेरिका में सबसे बड़ी जेनेरिक दवा कंपनी बनाने की योजना बनाई है और इसी योजना के तहत रैनबैक्सी का अधिग्रहण किया गया है। रैनबैक्सी के अधिग्रहण के साथ ही सनफार्मा का अमेरिका में 5वीं सबसे बड़ी जेनेरिक दवा कंपनी बन गई है।
बहरहाल, सांघवी को कठिन परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ा है। इजराइल की कंपनी टारो फार्मा में हिस्सेदारी के अधिग्रहण के दौरान टारो के बहुलांश शेयरधारकों ने पेशकश मूल्य पर चिंता जताई थी। लेकिन वह 2007 में सौदे की घोषणा होने के करीब 5 साल बाद टारो फार्मा में नियंत्रण योग्य हिस्सेदारी हासिल करने में सफल रहे। 1994 में सार्वजनिक होने के बाद सन फार्मा ने 1997 में तमिलनाडु के धाडा फामास्युटिकल्स लिमिटेड का पहला अधिग्रहण किया और उसके बाद अमेरिकी कंपनी काराको का अधिग्रहण भी उसी साल किया। अपने पसंद और नापसंद के बारे में कभी भी बातचीत न करने वाले सन फार्मा के इस लो-प्रोफाइल सीईओ ने कहा, 'अमेरिका में हम अभी भी महज एक छोटे खिलाड़ी हैं और हमें अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए रास्ता खुद तलाशना होगा।' फिलहाल सन फार्मा की करीब 70 फीसदी बिक्री अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सन फार्मा के कारोबार के विस्तार और बेहतर व्यावसायिकता लाने के लिए 58 वर्षीय दिलीप सांघवी ने 2012 में कंपनी के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया और टेवा फार्मास्युटिकल के पूर्व अध्यक्ष एवं मुख्य कार्याधिकारी इस्राइल मैकोव को कंपनी का चेयरमैन बनाया। अन्य भारतीय प्रवर्तकों की ही तरह सांघवी भी अपनी विरासत अपने बेटे आलोक सांघवी को सौंपना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें कोई जल्दबाजी नहींं है। अशोक फिलहाल कंपनी की अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग टीम के महाप्रबंधक हैं।
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