सन से चमकेगा रैनबैक्सी का 'सूरज' | उज्जवल जौहरी / मुंबई April 07, 2014 | | | | |
रैनबैक्सी के अधिग्रहण से न सिर्फ सन फार्मा की अमेरिकी संभावनाओं को मजबूती मिलेगी, बल्कि भारत और बाकी दुनिया में उसकी बिक्री को भी दम मिलेगा। इस सौदे से न सिर्फ सन बल्कि रैनबैक्सी को भी फायदा होगा। अभी तक रैनबैक्सी अपनी विनिर्माण इकाइयों पर यूएस एफडीए की कार्रवाई के चलते अपने सबसे बड़े बाजार में कारोबार में विकास के लिहाज से मुश्किलों से जूझ रही थी।
सन फार्मा न सिर्फ अपने संयंत्रों पर इस तरह की समस्याओं का सामना कर चुकी है, बल्कि यूएस एफडीए से मान्यता प्राप्त अपनी विनिर्माण इकाइयों को अपने उत्पाद हस्तांतरित करके इस तरह की समस्याओं से पार भी पा चुकी है। हाल में सन ने अपने अमेरिकी कारोबार को मजबूती देने केलिए टारो, कराको, डीयूएसए और यूआरएल का भी अधिग्रहण किया है। इस लिहाज से विश्लेषक इस सौदे को दोनों कंपनियों के लिए फायदेमंद मानते हैं, हालांकि सन फार्मा को कुछ ज्यादा महत्त्व दिया जा रहा है।
दोनों के लिए ही फायदेमंद है सौदा
रैनबैक्सी की उच्च रक्तचाप रोधी जेनेरिक दवा डाओवैन (सालाना 1.9 अरब डॉलर कारोबार वाली दवा की मंजूरी सितंबर 2012 से लंबित) और वैल्काइट उत्पादन (सितंबर 2013 से लंबित, जिसका बाजार 30 करोड़ डॉलर का है) सहित कई उत्पादों के लिए स्वीकृतियां काफी समय से लंबित हैं। विश्लेषकों का अनुमान है कि इन पेशकश के पहले छह महीनों के दौरान रैनबैक्सी को कुल 12 करोड़ डॉलर का राजस्व हासिल होगा। उल्लेखनीय है कि मई 2014 में नेक्सियम (इसका कारोबार सालाना 5.9 अरब डॉलर का है) की पेशकश प्रस्तावित है, जिससे रैनबैक्सी को लगभग 30 करोड़ डॉलर की बिक्री आमदनी हासिल होगी।
यदि सन इन उत्पादों की पेशकश को भुनाने में कामयाब रहती है तो इससे दोनों ही कंपनियों को फायदा होगा। विश्लेषकों का मानना है कि इस सौदे से सन फार्मा को ज्यादा फायदो होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2013 के दौरान सन की समेकित बिक्री 11,239 करोड़ रुपये रही थी और वह अपने से ज्यादा बिक्री वाली कंपनी रैनबैक्सी का अधिग्रहण करने जा रही है, जिसकी बिक्री कैलेंडर वर्ष 2012 में 12,410 करोड़ रुपये रही थी। लेकिन सन को वित्त वर्ष 2013 के दौरान 3,469 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था, जो रैनबैक्सी को हुए 951 करोड़ रुपये मुनाफे से 3.6 गुना ज्यादा था। इसकी मुख्य वजह यह है कि सन का पीबीआईडीटी मार्जिन 45 फीसदी है, जो रैनबैक्सी के 17 फीसदी से काफी ज्यादा है।
सन का मार्जिन काफी ज्यादा है, इसलिए इस मोर्चे पर भी कंपनी के लिए खासी संभावनाएं हैं। हालांकि रैनबैक्सी के कमजोर प्रदर्शन से सन के समेकित मार्जिन पर रिटर्न अनुपात पर मार भी पड़ सकती है। विश्लेषकों के मुताबिक दिलीप सांघवी के सफल अधिग्रहणों और शानदार कारोबार के रिकॉर्ड पर गौर करें तो सन के इस प्रवर्तक ने इस सौदे और इसकी संभावनाओं का बारीकी से आकलन किया होगा। रैनबैक्सी से जुड़ी अधिकांश संभावनाएं जगजाहिर हैं, इसलिए इसमें गिरावट का जोखिम बेहद कम हो चुका है।
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