वित्त मंत्री व बैंक प्रमुखों की कल की बैठक पर निगाह | भाषा / नई दिल्ली March 04, 2014 | | | | |
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी वेतन संशोधन की अपनी मांग पर सरकार व बैंक प्रबंधन के रवैए से निराश हैं। कर्मचारी संगठनों की नजर कल वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ होने वाली बैंक प्रमुखों की बैठक पर है।
बैंककर्मियों के एक नुमाइंदे ने कहा कि यदि कोई रास्ता नहीं निकलता है तो कर्मचारी संगठन फिर हड़ताल पर जा सकते हैं। बैंक कर्मियों के संगठन नैशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने बताया कि मुंबई में भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के साथ बैंक कर्मचारी संगठनों की कल हुई बैठक निराशाजनक रही।
बैंक प्रबंधन 10 प्रतिशत वेतनवृद्धि से आगे बढऩे को तैयार नहीं है। अब कर्मचारी संगठनों की नजर वित्त मंत्री के साथ बैंक प्रमुखों की कल होने वाली बैठक पर है। उन्हें उम्मीद है कि वित्त मंत्री इस दिशा में कुछ पहल कर सकते हैं। उन्होंने कहा, 'बैंक कर्मचारियों की वेतन वृद्धि की मांग पर यदि समुचित ध्यान नहीं दिया जाता है तो कर्मचारी फिर से हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे।'
राणा ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों का डीए 10 प्रतिशत बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया। ईपीएफओ के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये करने को भी हरी झंडी दे दी गई, लेकिन बैंक कर्मचारियों के मामले में सरकार का रवैया काफी बेरूखी वाला बना हुआ है, जबकि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से अंतरिम लाभांश के नाम पर 35,000 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि ले ली है।
राणा का कहना है कि बैंकों पर काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात यह हैं कि पुराने कर्मचारी 'स्वैच्छिक सेवानिवृति-वीआरएस' लेने की तैयारी में हैं तो नए कर्मचारी कम वेतन और बेतरतीब स्थानांतरण नीति की वजह से कुछ ही महीनों में नौकरी छोड़ देते हैं।
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