... बस मोदी की महफिल का न्योता जाए मिल! | आदिति फडणीस / नई दिल्ली February 20, 2014 | | | | |
आप निवेश बैंकर हैं और मेहमानों की 'उस खासÓ फेहरिस्त में नहीं है तो आपका शर्म से पानी-पानी हो जाना लाजिमी है। दरअसल हम जिस फेहरिस्त की बात कर रहे हैं, वह उन लोगों की है, जो 27 फरवरी को राजधानी में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं। उसमें मोदी विदेशी निवेशकों, बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बड़ी कंपनियों और बैंकों के आला अफसरों से बात करेंगे और अर्थव्यवस्था तथा उद्योग के बारे में अपनी योजना का खुलासा करेंगे। लेकिन दिक्कत यह है कि दुनिया भर में लाखों करोड़ों डॉलर के कारोबारी दांव खेलने वाले दिग्गजों की इस महफिल में आप तभी शरीक हो सकते हैं, जब आपके नाम का न्योता गया हो। 'भारतीय विकास के नए सिद्घांतÓ विषय पर होने वाली यह बैठक इंडिया फाउंडेशन नाम का संगठन करा रहा है। इसमें दो चरण होंगे। पहले चरण में बुनियादी ढांचे पर बात होगी और दूसरे दौर में भारत की वृहद् आर्थिक जरूरतों पर विचार विमर्श होगा। इंडिया फाउंडेशन खुफिया ब्यूरो के पूर्व निदेशक अजित डोभाल के दिमाग की उपज है। अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नीतिगत रुख तय करना इसी की जिम्मेदारी है।
27 फरवरी की यह बैठक निवेशकों को मोदी के आर्थिक विचारों से रूबरू कराने और उनमें भरोसा जगाने के मकसद से बुलाई जा रही है। इसके जरिये भाजपा उन नीतियों पर अपना रुख भी साफ करना चाहती है, जिनसे आर्थिक महारथियों को एतराज है, मसलन भारतीय रिजर्व बैंक के नेतृत्व की स्वायत्तता कम करना। बुनियादी ढांचे पर बातचीत का जो दोर होगा, उसकी कमान पूर्व केंद्रीय बिजली एवं जल संसाधन मंत्री सुरेश प्रभु के हाथ में होगी। दूसरे दौर में जब भारत के सामने मौजूद वृहद् आर्थिक चुनौतियों से माथापच्ची की जाएगी तो उसकी डोर जाने माने अर्थशास्त्री विवेक देवराय थामेंगे। लेकिन इस महफिल की जान तो नरेंद्र मोदी ही होंगे और उन्हीं पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी। चर्चा का समापन उन्हीं के भाषण से होगा। सम्मेलन के एक आयोजक ने बताया, 'हमें लगा कि मोदी को अपनी बात और अपने विचार सबसे सामने रखने चाहिए और इसके लिए इस चर्चा से अच्छा तरीका और कौन सा हो सकता है।Ó मोदी से गुफ्तगू करने के लिए 35 देशों से करीब 250 हस्तियां आ रही हैं, जिनका वित्तीय बाजार या निवेश बैंकिंग के बाजार में खासा दबदबा है। इनमें मॉर्गन मॉर्गन स्टैनली, जे पी मॉर्गन, नोमुरा और सीएलएसए के अर्थशास्त्री भी शामिल हैं।
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