निर्यात घटा, पेलेट की कीमतें गिरीं | सदानंद महापात्र / भुवनेश्वर February 14, 2014 | | | | |
पांच फीसदी निर्यात शुल्क की घोषणा के बाद भारतीय लौह अयस्क 300 रुपये प्रति टन गिरकर 7,000-7,100 रुपये प्रति टन पर कारोबार कर रहा है, क्योंकि विदेशी खरीदारों की अनिच्छा के बीच पेलेट विनिर्माताओं को स्थानीय बाजारों में भी अपना माल बेचना मुश्किल हो रहा है। शुल्क लागू होने के बाद निर्यात पर तो खासी ज्यादा मार पड़ी है। निर्यात कारोबार से जुड़े ब्रोकरों ने कहा कि शुल्क की घोषणा के बाद पेलेट के लिए पूछताछ करने वालों की मांग में खासी कमी आ गई है।
एक शिपिंग एजेंट कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, 'बीते 10 दिनों में हमने एक भी सौदा नहीं किया है। साथ ही चीनी और अन्य खरीदारों की तरफ से किसी बड़े सौदे के लिए बात तक नहीं की गई है। जनवरी में 145 डॉलर प्रति टन एफओबी का एक बड़ा सौदा हुआ था।'
फिलहाल कारोबारी भारतीय पेलेट के लिए बंदरगाहों पर 140 डॉलर प्रति टन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कमजोर कीमतों के रुझान का एक कारण दो सप्ताह की नए साल के छुट्टियों के कारण चीनी बाजारों का बंद होना भी है।
भारत की अग्रणी पेलेट निर्यातकों में केआईओसीएल शीर्ष पर बनी हुई है, जिसके बाद जेएसपीएल है। एस्सार स्टील और बीआरपीएल भी दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों को सीमित मात्रा में पेलेट का निर्यात करती हैं। ब्रिटेन की स्टेमकॉर की एक सहायक कंपनी ब्राह्मणी रिवर पेलेट लि. (बीआरपीएल) के प्रबंध निदेशक एन डी राव ने कहा, 'स्थानीय स्पॉन्ज आयरन बनाने वालों की तरफ से लौह अयस्क पेलेट की बेहद कम मांग आ रही है, क्योंकि उनको लौह अयस्क की पर्याप्त आपूर्ति हो रही है जो बेहतर गुणवत्ता वाला स्पॉन्ज आयरन बनाते हैं। जनवरी की तुलना में पेलेट की कीमतों में 300 रुपये प्रति टन की कमी आ चुकी है।' बारबिल में फिलहाल पेलेट की कीमतें 7,100 रुपये प्रति टन के ऊंचे स्तर पर चल रही हैं, जो जनवरी के आखिरी सप्ताह में रहे 7,350 रुपये से खासी कम हैं। कारोबारी सूत्रों ने कहा कि रायपुर और बेल्लारी जैसे अन्य प्रमुख बाजारों में कीमतों में हलचल देखने को मिली है।
केंद्र सरकार के सीमा एवं उत्पाद शुल्क विभाग ने 27 जनवरी को जारी एक अधिसूचना में कहा था, 'घरेलू बाजार में लौह अयस्क पेलेट की जरूरत को देखते हुए सरकार ने लौह अयस्क पेलेट पर 5 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने का फैसला किया है।'
पेलेट विनिर्माताओं के मुताबिक भारत में पेलेट का सालाना उत्पादन कुल 7 करोड़ टन क्षमता की तुलना में लगभग 3 से 3.5 करोड़ टन है। हालांकि अभी तक महज 10 लाख टन का निर्यात किया गया है और बाकी की घरेलू बाजार में खपत होती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर कीमतें कमजोर बनी हुई हैं, ऐसे में स्थानीय स्तर पर कम मांग से कीमतों पर दबाव बढ़ा है।
जिंदल स्टील ऐंड पावर लि. (जेएसपीएल) के एक अधिकारी ने कहा, 'स्थानीय इस्पात विनिर्माता इस कीमत पर पेलेट खरीद नहीं सकते और निर्यात शुल्क लगने के बाद विदेशी खरीदार थोड़े सतर्क नजर आ रहे हैं। शुल्क की घोषणा के बाद कीमतें लगभग स्थिर चल रही हैं।' जेएसपीएल का उत्तरी ओडिशा के बारबिल में एक पेलेट विनिर्माण संयंत्र है।
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