दुनिया की सर्वाधिक तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है भारत। बीते वर्षो के दौरान उद्योगों का तेली से फैलाव हुआ है। लेकिन औद्योगीकरण की चुनौतियों और जिम्मेदारी से अनजान देश अभी तक विकास का फलसफा नहीं सीख सका है और इसका खामियाजा भुगत रहा है पूरा देश। इस सिलसिले की ताजा कड़ी है ग्रेटर नोएडा स्थित कंपनी ग्रेजियोनी ट्रांसमिजियोनी की दुर्घटना।
क्या है पूरा मामला
गत सोमवार को 360 करोड़ रुपये की इटली की सहयोगी कंपनी ग्रेजियोनी ट्रांसमिजियोनी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और इंडिया हेड ललित किशोर चौधरी की हत्या बर्खास्त कर्मचारियों द्वारा कर दी गई।
लगभग 125 बर्खास्त कर्मचारी अपने हाथ में लोहे की छड़ लेकर घुसे और कंपनी के अंदर तोड़ फोड़ मचाने लगे। जब ललित ने उन लोगों को शांत होने के लिए कहा, तो वे उन पर सरियों से वार करने लगे। घायल चौधरी को कैलाश अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
किस तरह के कदम उठाए जा सकते थे
चौधरी जिस कंपनी में थे, वह 360 करोड़ रुपये की कंपनी है और अगर ऐसी कंपनियों में ये वारदात हो सकती है, तो आप अन्य उद्योगों की सुरक्षा व्यवस्था का अंदाजा लगा सकते हैं। व्यापारियों का मानना है कि उद्योगों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ के जवानों की तैनाती की
जानी चाहिए।
नोएडा की प्रमुख औद्योगिक इकाइयां
नोएडा में लगभग 8956 औद्योगिक इकाइयां काम कर रही है, जिसमें फेडर्स लॉयड, एचसीएल-एचपी, इंडो कॉप, टी-सीरिज, बीपीएल सानयो, पैनासोनिक, सैमसंग, फीनिक्स, एसजीएस-थॉमसन, टाटा यूनिसिस, टीसीएस, मॉजर बेयर, एवरेडी आदि प्रमुख हैं।
इतनी बड़ी बड़ी कंपनियों का हब होने के बावजूद नोएडा में सुरक्षा व्यवस्था नदारद है। इस घटना के बाद इस औद्योगिक शहर में काफी संशय का माहौल है। सभी कंपनियां असुरक्षा और सरकारी उदासीनता को लेकर पसोपेश में है।
नोएडा में बड़ी संख्या में औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं, इसके बावजूद सरकार उचित सुरक्षा व्यवस्था मुहैया नहीं कराती है। ये कंपनियां या तो निजी सुरक्षा एजेंसियों का सहारा लेती है या फिर राम भरोसे ही इनका काम चलता है।
सीईओ की हत्या ने औद्योगिक महकमे में सनसनी फैला दी है। वहां के कुछ व्यापारियों का कहना है कि पुलिस तो नोएडा में शांति व्यवस्था बनाए रखने में बिल्कुल नाकाम रही है। सीईओ की हत्या से नोएडा में काफी दहशत का माहौल है।
क्या हो सकती है कार्रवाई
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता रोहित पांडेय ने बताया कि गिरफ्तार लोगों पर हत्या का आरोप तय किए जाएंगे और धारा 302 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना में षडयंत्र का मामला बनेगा और उन पर धारा 123 के तहत आरोप तय किए जाएंगे। जिन लोगों के नाम एफआईआर में होंगे, उनकी सजा का निर्णय मुकदमे के आधार पर किया जाएगा।
