टाटा मोटर्स की नैनो परियोजना पश्चिम बंगाल में क्या अटकी, तमाम राज्य उसे लपकने के लिए तैयार हो गए। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कई राज्यों से न्योता मिला, लेकिन कंपनी अब दुनिया की इस सबसे सस्ती कार को गुजरात की जमीन पर उतारने की योजना बना रही है।
इस बारे में कंपनी अपनी तैयारियां शुरू कर भी चुकी है। टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक रवि कांत के नेतृत्व में कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और राज्य में नैनो परियोजना लगाने की संभावनाओं के बारे में बातचीत की।
इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में बताया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत लगभग 30 मिनट तक चली जिसमें कंपनी के अधिकारियों ने नैनो परियोजना मुंद्रा में लाने और यहां से कार के उत्पादन में दिलचस्पी दिखाई।
सूत्रों ने बताया, 'टाटा मोटर्स इस परियोजना के लिए संभावित जगह की तलाश कर रही है, गुजरात इसमें से एक है। कंपनी की नजर इसके लिए कच्छ के इलाके में स्थित मुंद्रा पर है।'
हाल ही में कंपनी ने इसके लिए मुंद्रा बंदरगाह का संचालन करने वाले अदानी समूह से जहाजों पर सामान लादने और उतारने के काम करने की संभावनाओं के बारे में भी बातचीत की है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए कंपनी ने लगभग 1,000 एकड़ जमीन की मांग की है, जिसे सरकार ने मान भी लिया है।
सिंगुर में तृणमूल कांग्रेस के धरना प्रदर्शन और विरोध के कारण इस महीने की शुरुआत से ही नैनो संयंत्र में काम बंद पड़ा है। सिंगुर में कंपनी के संयंत्र का लगभग 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है।
मोदी से मिलने से पहले टाटा मोटर्स के अधिकारियों ने कर्नाटक सरकार से भी नैनो परियोजना वहां लाने के बारे में बात की थी।
कर्नाटक के अलावा भी कई राज्य इस परियोजना को अपने यहां लगाने की पेशकश कर चुके हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा तो इस परियोजना को लगाने के लिए टाटा मोटर्स को कई तरह की छूट देने की बात भी कह चुके हैं।
लेकिन कंपनी ने इन दोनों राज्यों में ही दिलचस्पी नहीं दिखाई।सूत्रों के मुताबिक मुंद्रा में पहले से ही टाटा पावर की 4,000 मेगावाट की अल्ट्रा मेगा पावर परियोजना है।
बंदरगाह के करीब होने से कंपनी को नैनो का निर्यात करने में भी आसानी होगी। काफी समय से गुजरात सरकार टाटा मोटर्स को राज्य में कार निर्माण संयंत्र लगाने का न्योता दे रही थी। जहां तक सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण की बात है तो गुजरात एक बेहतर विकल्प है।
शायद पहले के अनुभव और भूमि अधिग्रहण में आसानी की वजह से ही टाटा मोटर्स गुजरात को अन्य राज्यों पर तरजीह दे रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, 'अभी तक सरकार ने जिस भी कंपनी के लिए भूमि अधिग्रहण किया है उसमें किसानों की तरफ से कोई विरोध नहीं हुआ है।'
इससे पहले गुजरात में कारोबार और कंपनियों के शीर्ष संगठन गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री ने भी टाटा मोटर्स को नैनो परियोजना गुजरात में लगाने के लिए पत्र लिखा था।
फिलहाल गुजरात के जामनगर में टाटा का कैमिकल संयंत्र भी है जिसमें सोडा ऐश, सीमेंट और नमक बनाया जाता है।
