भारत ने उठाए सख्त कदम | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली December 17, 2013 | | | | |
पिछले छह दिन से अमेरिका को अपनी नाराजगी जताने के बाद भारत ने वहां के भारतीय वाणिज्य दूतावास की अधिकारी देवयानी खोब्रागडे के साथ हुए अनुचित व्यवहार के खिलाफ आज सख्त कदम उठा ही लिए। केंद्र सरकार ने 'जैसे को तैसा' वाला रुख अपनाते हुए देश में अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास में कार्यरत अमेरिकी कर्मचारियों की राजनयिक छूट कम कर दी है। उसने अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में कार्यरत सभी भारतीय कर्मचारियों के वेतन का ब्योरा भी तलब किया है। इसमें दूतावास के अधिकारियों के घरेलू नौकरों के वेतन का ब्योरा शामिल है। माना जा रहा है कि इससे दोनों देशों के पारस्परिक संबंधों में तल्खी आ सकती है।
इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने अमेरिकी राजनयिकों को मिले हवाई अड्डïा पास भी तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिए। इसका मतलब है कि राजनयिक मिशन पर नियुक्त अमेरिकी अब अपने परिजनों या अमेरिका से आ रहे मेहमानों की अगवानी के लिए हवाई अड्डों के आव्रजन क्षेत्र में नहीं जा सकेंगे। दूतावास में कार्यरत अमेरिकी कर्मचारियों और उनके परिवारों को भारतीय प्रशासन की ओर से मिले पहचान पत्र भी वापस मांगे गए हैं। अमेरिकी दूतावास को सामान आयात करने की जो भी मंजूरी दी गई थी, वह वापस ले ली गई है। इसमें शराब का आयात भी शामिल है। नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के आसपास मौजूद ट्रैफिक बैरियर भी हटा लिए गए हैं। अमेरिकी दूतावासकर्मियों को इनसे बड़ी सुविधा होती थी, लेकिन भारतीयों के लिए ये तकलीफ का सबब थे।
सरकार ने अमेरिकी प्रशासन से वहां के स्कूलों में नियुक्त सभी भारतीय शिक्षकों के वीजा की जानकारी भी तलब की है। इसके अलावा वहां काम करने वाले भारतीय शिक्षकों के वेतन और बैंक खातों का ब्योरा भी मांगा है। भारत यह देखना चाहता है कि कहीं अमेरिकी शिक्षक भारतीय वीजा नीति का उल्लंघन तो नहीं कर रहे हैं। अब नजर इस बात पर टिकी है कि अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय नागरिकों के वीजा की प्रक्रिया सुस्त न कर दे। इस बीच भारत आए हुए अमेरिकी संसद के प्रतिनिधि मंडल के लिए देश के राजनेताओं से मिलना काफी चुनौती भरा साबित हो रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और प्रधानमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी समेत तमाम नेताओं ने प्रतिनिधि मंडल से मिलने से इनकार कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी के नेता यशवंत सिन्हा ने कहा, 'मीडिया में खबरें छपी हैं कि भारत ने काफी संख्या में अमेरिकी राजनयिकों के साथियों को वीजा जारी किए हैं। जैसे अमेरिका में मानक से कम वेतन देना अपराध है, वैसे ही धारा 377 के तहत हमारे देश में समलैंगिक संबंध भी अपराध हैं। तो भारत सरकार ऐसे सभी अमेरिकी राजनयिकों को गिरफ्तार क्यों नहीं कर लेती! उन्हें जेल में डालिए और यहीं सजा दीजिए।'
अगर खोब्रागडे मामला नहीं सुलझता है तो भारत दबाव बढ़ा सकता है। भारत को अब भी नौकरी के लिहाज से मुश्किल जगह माना जाता है और इसलिए यहां नियुक्त अमेरिकी अधिकारियों को भारी भरकम भत्ता दिया जाता है लेकिन वे अपने अधीनस्थ भारतीय कर्मचारियों को कम वेतन देते हैं। ऐसे में अगर तुलनात्मक वेतन के आंकड़े जारी होंगे तो अमेरिकी अधिकारियों के लिए मुश्किल हो सकती है। आम चुनावों से पहले भारत यह साबित करना चाहता है कि वह कमजोर देश नहीं है।
|