Skip to content
  बुधवार 31 मई 2023
Trending
May 31, 2023बीते वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा GDP के 6.4 फीसदी पर पहुंचाMay 31, 2023अब भारत में बनेंगे Xiaomi के स्मार्टफोन, इस भारतीय कंपनी के साथ हुई डीलMay 31, 2023बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सबूत की कमी का दावा करने वाली खबर गलत, जांच जारी: दिल्ली पुलिसMay 31, 2023ईलॉन मस्क के Twitter की वैल्यू घटकर रह गई केवल 33 प्रतिशत: रिपोर्ट्सMay 31, 2023Closing Bell: शेयर बाजार की तेजी पर लगा ब्रेक, Sensex 347 अंक टूटा, Nifty 18,600 के नीचेMay 31, 2023UP Police Constable 2023 : जल्द शुरू होगी यूपी पुलिस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया, चेक करें लेटेस्ट अपडेटMay 31, 2023CHSE Odisha 12th Result 2023: बारहवीं कक्षा के साइंस और कॉमर्स के नतीजे घोषितMay 31, 2023ITR filing: ऑनलाइन ITR2 फॉर्म हुए जारी, FY23 के लिए टैक्सपेयर्स कर सकते हैं अप्लाईMay 31, 2023प्रधानमंत्री मोदी सोचते है कि उन्हें भगवान से ज्यादा पता है: राहुल गांधीMay 31, 2023एक दशक से भी कम समय में बदल गया है भारत: मॉर्गन स्टेनली
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
   लेख   सड़क नियामक के आने से दूर होंगी कई बाधाएं
लेख

सड़क नियामक के आने से दूर होंगी कई बाधाएं

adminविनायक चटर्जी— November,19 2013 9:32 PM IST
Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp Email

हाल ही में हुआ सड़क अनुबंधों का पुनर्गठन हमारी अनुकूलन क्षमता दिखाने के साथ यह भी याद दिलाता है कि हमें इस वक्त किसी समिति की नहीं बल्कि सड़क नियामक की जरूरत है। बता रहे हैं विनायक चटर्जीबीते अक्टूबर महीने की 8 तारीख को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उन सभी प्रमुख सड़क अनुबंधों के लिए एकबारगी पुनर्गठन पैकेज को मंजूरी दे दी जो विभिन्न वजहों से वित्तीय दबाव झेल रहे थे। सरकार ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष सी रंगराजन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया ताकि वह अर्हता की शर्तों और योजना का ब्योरा तैयार करे। समिति में पांच सदस्य रखे गए हैं और उम्मीद की जा रही है कि वह दिसंबर तक अपनी अनुशंसाएं पेश कर देगी। समिति के सदस्य हैं सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव विजय छिब्बर, योजना आयोग की सचिव सिंधुश्री खुल्लर, पीएमईएसी के सचिव आलोक शील, भारतीय राष्टï्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष आर पी सिंह और व्यय सचिव आर एस गुजराल। बहरहाल अगर इसमें निजी क्षेत्र का प्रतिनिधि भी शामिल होता तो बेहतर होता। तमाम डेवलपरों ने इस सैद्घांतिक मंजूरी का स्वागत किया। ऐसा इसलिए क्योंकि खुद उनकी वित्तीय स्थिति खस्ता है और उनको विभिन्न तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिस राहत पैकेज की बात की जा रही है उसमें शुरुआती वर्षों में कम शुल्क वाले वक्त में तयशुदा प्रीमियम भुगतान को समर्थन, विकास संबंधी कारकों, पूंजीगत जरूरतों और उच्चतम स्तर पर कर्ज में मदद की बात शामिल है। शुरुआती वर्षों में इस सहायता की भरपाई बाद के वर्षों में उच्च प्रीमियम के जरिये की जाएगी ताकि संबंधित राजमार्ग परियोजना की नेट प्रजेंट वैल्यू (एनपीवी) बरकरार रहे। इस योजना का विरोध मोटे तौर पर नैतिक आधार तथा नीलामी प्रक्रिया पर इसके संभावित नकारात्मक असर को लेकर हो रहा है। हालांकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के किसी तरीके पर बात नहीं की जा सकती है लेकिन फिलहाल के लिए तो यह निम्रलिखित सात वजहों से व्यावहारिक तरीका नजर आ रहा है: (1) नए सिरे से बातचीत को समझने की आवश्यकता है और हमें इसे निजी सार्वजनिक परियोजनाओं (पीपीपी) की अनिवार्य जरूरत के रूप में स्वीकार करना होगा। खासतौर पर उनके शुरुआती दौर में। विश्व बैंक ने लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई द्वीप समूह में 1985 से 2000 के बीच  जिन 1,000 से अधिक पीपीपी का अध्ययन किया उनमें निम्र बातें निकलकर आईं: 41.5 फीसदी परियोजनाओं में नए सिरे से बातचीत की जरूरत पड़ी थी। परिवहन क्षेत्र की बुनियादी योजनाओं में से 55 फीसदी पर दोबारा चर्चा हुई। दोबारा चर्चा में से 85 फीसदी चार साल के भीतर और 60 फीसदी तीन साल के भीतर शुरू हुई।  दोबारा बातचीत ज्यादातर उन मामलों में हुई जिनका आवंटन प्रतिस्पर्धी नीलामी के जरिये किया गया था।ऐसे में जाहिर है यह कोई प्रतिष्ठïा का प्रश्न नहीं है। (2) देखा जाए तो यह भी स्पष्टï है कि जोखिम और विभिन्न अंशधारकों की जोखिम वहन करने की क्षमता का भी पर्याप्त आकलन नहीं किया गया। निजी क्षेत्र ने परिवहन से जुड़े अपने अति आक्रामक व्यवहार से यह बात उजागर की है। भारी भरकम कर्ज और ऊंची बोली में भी कई बार प्रबंधन के स्तर की परिपक्वता का अभाव नजर आया तथा जोखिम के आकलन की भी कमी दिखी। एनएचएआई ने भी सीमांत बोलियों को समाप्त करने में अक्षमता दिखाई। इसके अलावा वह समय पर भूमि अधिग्रहण करने तथा स्वीकृति के मामलों में भी समयावधि का पालन करने में नाकाम रहा। जब तक इन समस्याओं को हल नहीं किया जाता है दोबारा बातचीत के सिवा कोई राह नहीं है। (3) एनएचएआई के नजरिये से देखें तो दोबारा बातचीत के बाद उसे जो उच्च प्रीमियम मिलेगा वह किसी भी हालत में मौजूदा निवेश के लिहाज से नकारात्मक माहौल में दोबारा बोली से हासिल होने वाली राशि से कहीं अधिक होगा। उम्मीद है कि परियोजना के बदले एनएचएआई को अगले 20 सालों तक डेवलपरों से 1.51 लाख करोड़ रुपये की राशि मिलेगी। (4) दोबारा बोली लगाना से अपरिहार्य तौर पर और अधिक देरी होगी और इससे परियोजना की लागत भविष्य में और बढ़ेगी। इसका जीडीपी में विकास समेत रोजगार निर्माण, निर्माण उद्योग में तरक्की आदि तमाम संभावित लाभों पर नकारात्मक असर होगा। (5) एनपीवी तटस्थता एक जन नीति की मिसाल के तौर पर पारदर्शिता और स्वच्छता के मानकों पर खरी उतरती है। यह ऊंची बोली लगाने वाले की वैधता को बरकरार रखती है। (6) पुरानी बोलियों को खारिज करने का घरेलू और वैश्विक निवेशकों पर बहुत नकारात्मक असर पड़ेगा। (7) हाल ही में केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने आयातित कोयले पर आधारित बड़ी बिजली परियोजनाओं के लिए जिस क्षतिपूर्ति वाले टैरिफ को मंजूरी दी है उसके उलट पुनर्गठन में उपभोक्ता शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। राजमार्ग प्रभाग के देवल मित्रा और राजीव भटनागर के नेतृत्व में हुई एक औपचारिक चर्चा में कुछ मुद्दों पर निम्रलिखित विचार सामने आए: (क) दायरा और पात्रता: सड़क मंत्रालय केवल 23 फीसदी परियोजनाओं को आर्थिक मदद के बारे में विचार कर रहा है जबकि डेवलपरों का मानना है कि ऐसा सभी परियोजनाओं के लिए किया जाना चाहिए क्योंकि अधिकांश को आगे चलकर इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। (ख) रियायती दर: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जिस 12 फीसदी रियायत दर की घोषणा की है वह थोड़ा सख्त नजर आती है। खासतौर पर यह देखते हुए कि उसने गत वर्ष दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को स्पेक्ट्रम शुल्क के स्थगन के लिए 9.75 फीसदी की दर निर्धारित की थी। इसके अलावा यह दर मौजूदा ब्याज दरों पर आधारित है क्योंकि मानक उच्च स्तर पर हैं। जबकि दो दशक या उससे अधिक की रियायती अवधि के लिए चक्रीय ब्याज दर के आधार पर विचार होना चाहिए था। पहले से ही मजबूत नकदी वाली परियोजनाओं को भारी भरकम रियायत देने से उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकेगी। ऐसे में 10 फीसदी की रियायत दर सही प्रतीत होती है। (ग) जुर्माना: अगर डेवलपर की ओर से डिफॉल्ट होता है तो केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परियोजना लागत के 0.5 फीसदी तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव भी रखा है। यह अवधारणात्मक स्तर पर स्वीकार्य है। (घ) बैंक गारंटी: एक नजरिया यह भी है कि डेवलपर शुरुआती और मौजूदा प्रीमियम के बीच के अधिकतम अंतर के बराबर की बैंक गारंटी जुटाएं। चूंकि मूल समझौते में किसी बैंक गारंटी की बात नहीं है इसलिए यह अनावश्यक है। (च) प्रीमियम का पुनर्निर्धारण: डेवलपरों ने 6 से 8 वर्ष का विलंबकाल मांगा है जबकि योजना आयोग ने प्रीमियम के अंतर के प्रतिशत को हर वर्ष जोडऩे का प्रस्ताव रखा है। हर परियोजना की अलग-अलग प्राथमिकताओं को देखते हुए बेहतर यही होगा कि इस बात को एनएचएआई पर छोड़ दिया जाए। (छ) समिति के फैसले के बाद एनएचएआई को मजबूत बनाना: एक बार रंगराजन समिति द्वारा स्वरूप तय कर दिए जाने के बाद एनएचएआई को पूरी तरह अधिकार संपन्न बनाया जाना चाहिए ताकि वह रियायतग्राहियों से निपट सके। (ज) सड़क नियामक: मैं पहले भी यह दलील दे चुका हूं कि देश में एक मजबूत और विश्वसनीय सड़क नियामक होता तो संबंधित समस्याओं का हल अपेक्षाकृत जल्दी निकल आता। कुल मिलाकर राजमार्ग पुनर्गठन की कवायद और हाल में आयातित कोयले की कीमतों पर केंद्रीय बिजली नियामक के फैसले से यह पता चलता है कि कैसे देश में पीपीपी पर दोबारा चर्चा अपरिहार्य होती जा रही है।

Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp Email

संबंधित पोस्ट

  • Filter #1
  • More from author
अंतरराष्ट्रीय

US Federal Reserve: इंटरेस्ट रेट में फिर 0.50 फीसदी का इजाफा, 15 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंचीं

December 15, 2022 8:38 AM IST
अर्थव्यवस्था

MPC meet: जानिए RBI Monetary Policy review की मुख्य बातें

December 7, 2022 1:25 PM IST
अर्थव्यवस्था

RBI repo rate hike: लोन लेना हो सकता है और महंगा

December 7, 2022 12:18 PM IST
कंपनियां

Air India लगातार कर रही अपने नेटवर्क का विस्तार, 12 और विमान लीज पर लिए

December 5, 2022 7:23 PM IST
कंपनियां

Apple जल्द Samsung को पछाड़ बन जाएगी भारत की सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्यातक !

December 5, 2022 6:58 PM IST
कमोडिटी

सोना 316 रुपये चढ़ा, MCX पर कीमतें 54 हजार के ऊपर

December 5, 2022 1:29 PM IST
कमोडिटी

Rabi Season 2022: चने की बोआई ने पकड़ी रफ्तार

December 2, 2022 1:49 PM IST
आपका पैसा

ITR: अब जल्दी मिलेगा रिफंड, टैक्स के एडजेस्टमेंट में भी आएगी तेजी

December 2, 2022 1:05 PM IST
अन्य

प्रदूषण नियंत्रण को लेकर बड़ा फैसला, एक जनवरी से दिल्ली-NCR में नहीं होगा डीजल ऑटो का रजिस्ट्रेशन

December 2, 2022 12:49 PM IST
अन्य

सिंधिया ने दिल्ली हवाई अड्डे पर ‘DigiYatra’ सुविधा लॉन्च की, अब आपका चेहरा ही होगा ‘बोर्डिंग पास’

December 1, 2022 4:14 PM IST
अर्थव्यवस्था

India’s Q2 GDP Growth: दूसरी तिमाही में 6.3 फीसदी की दर से बढ़ी देश की अर्थव्यवस्था

November 30, 2022 5:58 PM IST
अर्थव्यवस्था

Core Sector Growth: अक्टूबर में 8 कोर सेक्टर का उत्पादन घटकर 0.1 फीसदी रहा

November 30, 2022 5:37 PM IST
अर्थव्यवस्था

Fiscal Deficit : अप्रैल-अक्टूबर में बढ़ा फिस्कल डेफिसिट, बजट अनुमान का 45.6 प्रतिशत रहा

November 30, 2022 4:49 PM IST
अर्थव्यवस्था

बीते वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा GDP के 6.4 फीसदी पर पहुंचा

May 31, 2023 4:44 PM IST
कंपनियां

अब भारत में बनेंगे Xiaomi के स्मार्टफोन, इस भारतीय कंपनी के साथ हुई डील

May 31, 2023 4:40 PM IST
भारत

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सबूत की कमी का दावा करने वाली खबर गलत, जांच जारी: दिल्ली पुलिस

May 31, 2023 4:22 PM IST
कंपनियां

ईलॉन मस्क के Twitter की वैल्यू घटकर रह गई केवल 33 प्रतिशत: रिपोर्ट्स

May 31, 2023 4:19 PM IST

Trending Topics


  • Market Live Updates
  • Stock Market Today
  • Stocks to Watch Today
  • Tesla
  • Dollar vs Rupee
  • Gold-Silver Price
  • LPSS Payment System
  • Rs 2000 Notes
  • GO First Fights

Latest News


  • बीते वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा GDP के 6.4 फीसदी पर पहुंचा
    by अंशु
    May 31, 2023
  • अब भारत में बनेंगे Xiaomi के स्मार्टफोन, इस भारतीय कंपनी के साथ हुई डील
    by रत्न शंकर मिश्रा
    May 31, 2023
  • बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सबूत की कमी का दावा करने वाली खबर गलत, जांच जारी: दिल्ली पुलिस
    by अंशु
    May 31, 2023
  • ईलॉन मस्क के Twitter की वैल्यू घटकर रह गई केवल 33 प्रतिशत: रिपोर्ट्स
    by मानसी वार्ष्णेय
    May 31, 2023
  • Closing Bell: शेयर बाजार की तेजी पर लगा ब्रेक, Sensex 347 अंक टूटा, Nifty 18,600 के नीचे
    by अंशु
    May 31, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
60431.00 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स60431
380.06%
निफ्टी60431
380%
सीएनएक्स 50014954
130.08%
रुपया-डॉलर82.05
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
AU Small Finance679.6017.08
IDBI Bank51.679.66
Guj. Ambuja Exp265.707.51
Welspun India80.936.40
Chola Financial600.304.48
Graphite India278.304.43
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
AU Small Finance679.2017.07
F A C T320.8012.40
IDBI Bank51.709.77
Guj. Ambuja Exp265.557.66
Welspun India81.156.64
Ingersoll-Rand2763.055.53
आगे पढ़े  

# TRENDING

Market Live UpdatesStock Market TodayStocks to Watch TodayTeslaDollar vs RupeeGold-Silver PriceLPSS Payment SystemRs 2000 NotesGO First Fights
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us