दिग्गजों को भाने लगा पुरानी कार का फलता बाजार | स्वराज बग्गोणकर / November 10, 2013 | | | | |
मुंबई के एक मीडियाकर्मी रवि माधव के पास फिलहाल एक ऑटोमेटिक स्कूटर है लेकिन इसी साल अप्रैल में वेतन वृद्धि के बाद वह एक हैचबैक कार खरीना चाहते थे ताकि अपने परिवार के साथ आराम से यात्रा कर सकें। माधव की तरह कई हजार लोग भी अपनी पहली कार खरीदने के लिए इंटरनेट खंगालते हैं या अपने दोस्तों से सलाह लेते हैं। कार के लिए माधव की बजट 4,50,000 रुपये है और सबसे अधिक बिकने वाले मॉडलों का दायरा भी व्यापक है जिसमें हुंडई आई10, मारुति वैगनआर, मारुति ऑल्टो के10, हुंडई सैंट्रो या हुंडई इऑन शामिल हैं।
हालांकि माधव ने इटली की कंपनी फिएट की 5 सीटों वाली मध्यम आकार की सिडैन कार लीनिया को खरीदा और अपने पूर्व बजट में 1,00,000 रुपये की बचत भी कर ली। उन्होंने बिल्कुल नई दिखने वाली लेकिन करीब दो साल पुरानी इस कार को शहर के ही पुरानी कारों के आउटलेट से खरीदा और इस पर डीलर की ओर से उन्हें नई कारों की तरह सुविधाएं भी दी गईं जैसे वारंटी, बीमा आदि।
माधव उन वाहन खरीदारोंं मेंं से एक हैं जो देश में पुरानी कारों के बाजार को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे खरीदारों की संख्या भी कम नहीं है और खरीदार पुरानी कार खरीदते समय कीमत और गुणवत्ता स्तर का विशेष ध्यान रखते हैं। वर्ष 2008-12 के दौरान घरेलू बाजार में नए वाहनों की बिक्री में जबरदस्त वृद्धि (14 फीसदी सीएजीआर) होने के कारण पुरानी कारों का कारोबार बढ़ा है। इस कारोबार में पुरानी कारों की पूरी तरह जांच-पड़ताल की जाती है और बिक्री के लिए तैयार किया जाता है। इस कारोबार के संगठित खिलाड़ी आमतौर पर वारंटी के साथ पुरानी कारों की पेशकश करते हैं।
पुरानी कारों के बाजार में मोलभाव करने वाले ग्राहकों को अधिका फायदा हो सकता है। उन्हें नई कारों की मूल कीमत से लगभग आधी रकम के भुगतान से बेहतरीन पुरानी कार मिल सकती है क्योंकि पुरानी कारों की आपूर्ति बढऩे और समय बीतने से इस बाजार में ग्राहकों को फायदा मिल सकता है। आमतौर पर लोग पहले 5 सालों के बाद अपनी कार बदलते थे लेकिन अब यह अवधि 3 से 3.5 साल हो गई है। एक आकलन के अनुसार, देश में पुरानी कारों की बिक्री फिलहाल करीब 32.2 लाख वाहन है जो नई कार उद्योग की बिक्री का 1.2 गुना अधिक है।
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