हवाई अड्डों के निजीकरण पर आपत्ति | भाषा / November 10, 2013 | | | | |
सरकार भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा संचालित 6 हवाई अड्डों के निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ रही है लेकिन माना जा रहा है कि एक संसदीय
समिति ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के हवाई अड्डा निकाय इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाली इकाइयों को खुद प्रबंधन अनुबंध दें।
इसके अलावा समिति ने सुझाव दिया है कि निजीकरण करने के बजाय एएआई को हवाई अड्डों का प्रबंधन अपने पास रखना चाहिए। हवाई अड्डों के परिचालन के लिए आवश्यक विशेषज्ञता हासिल करने के लिए एएआई विशेष कंपनी (एसपीवी) का गठन कर सकता है।
परिवहन, पर्यटन तथा संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति ने हाल में यह रिपोर्ट स्वीकार की है। जल्द इस रिपोर्ट को संसद में पेश किया जाना है। समिति का मानना है कि इन 6 हवाई अड्डों के प्रबंधन और परिचालन के निजीकरण से निजी इकाइयां ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहेंगी जिससे यात्रियों और विमानन कंपनियों की लागत में इजाफा होगा।
योजना आयोग ने 2006 में दिल्ली व मुंबई के बाद किसी अन्य हवाई अड्डे का निजीकरण नहीं करने का समर्थन किया था। हालांकि समिति का कहना है कि योजना आयोग अपने पुराने रुख से क्यों पलट गया, इसके बारे में वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया।
कोलकाता और चेन्नई के अलावा हवाई अड्डïा प्राधिकरण ने लखनऊ, जयपुर, अहमदाबाद और गुवाहाटी हवाई अड्डïों के निजीकरण की योजना बनाई है। इन हवाई अड्डïों के लिए निजी क्षेत्रों से अभिरुचि पत्र मंगाई गई है।
माकपा नेता सीताराम येचुरी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने हाल ही में कोलकाता में कहा था, 'हमने हवाईअड्डïों के निजीकरण करने को लेकर एक रिपोर्ट स्वीकार की है। लेकिन इसका ब्योरा फिलहाल नहीं दिया जा सकता। हालांकि इसे जल्द ही राज्य सभा में पेश किया जाएगा।Ó उन्होंने कहा, 'हम निजीकरण के विरोध में हैं। मेरी राय में एएआई को इन लंबी अवधि के लिए इसे प्रबंधन करार पर देना चाहिए।Ó
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