साल 2014 के चुनाव में राजनीतिक परिवर्तन की संभावना देखते हुए गोल्डमैन सैक्स ने भारत की रेटिंग मार्केटवेट कर दी है और इसके बाद वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स ने देश की रेटिंग को डाउनग्रेड करने की चेतावनी दी है। एसऐंडपी ने कहा है कि अगर नई सरकार आर्थिक मंदी को दूर करने और उच्च विकास दर की राह पर वापस लौटने में नाकाम रहती है तो वह भारत की रेटिंग घटा सकती है। अभी एसऐंडपी ने भारत की सॉवरिन रेटिंग बीबीबी (-) पर बरकरार रखी है, जो निवेश का सबसे निचला स्तर है। लेकिन इसने कहा है कि अगले आम चुनाव के बाद वह स्थिति की समीक्षा करेगी, जब नई सरकार नीतिगत एजेंडे की घोषणा करेगी। डाउनग्रेड होने से भारत 'जंकÓ की श्रेणी में आ जाएगा। बयान में कहा गया है, नकारात्मक परिदृश्य संकेत देता है कि हम अगले साल रेटिंग घटा सकते हैं, अगर आम चुनाव के बाद सत्ता संभालने वाली सरकार भारत के आर्थिक परिदृश्य में सुधार लाने में नाकाम रहती है। अगर हमें लगेगा कि इसका एजेंडा भारत को वापस विकास की पटरी पर ला सकता है, राजकोषीय खाते को एकीकृत कर सकता है और प्रभावी मौद्रिक नीति लागू कर सकता है तो हम इस परिदृश्य को स्थिर में तब्दील कर सकते हैं। अगर हम नीतिगत मोर्चे पर खामी पाएंगे तो हम एक साल के भीतर रेटिंग घटा सकते हैं। एजेंसी ने कहा कि सरकार ने पेट्रोल व डीजल के विनियंत्रण के जरिए सब्सिडी की नीति पर मिश्रित संकेत दिया है, लेकिन यह देश की एक तिहाई आबादी के लिए खाद्य सब्सिडी का विस्तार कर रही है। आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने हालांकि कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि रेटिंग सामान्य है। एसऐंडपी ने कहा है कि नई सरकार को चार प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है : डीजल सब्सिडी को धीरे-धीरे समाप्त करना, खाद्य सब्सिडी के विस्तार का वित्त पोषण, अन्य सब्सिडी मसलन उर्वरक आदि के लिए सब्सिडी की समस्या को दूर करना और वस्तु एवं सेवा कर लागू करना। वित्तीय मोर्चे पर इसने कहा है कि 2013-14 में जीडीपी के 4.8 फीसदी पर राजकोषीय घाटे को रखने का लक्ष्य सरकार की तरफ से आंशिक तौर पर चुनाव खर्च की समस्या का समाधान और जिंसों की कीमतों पर निर्भर करेगी। इसमें कहा गया है कि चालू खाते का घाटा मार्च 2014 तक जीडीपी के 3.7 फीसदी पर आ सकता है।
