गरीबी घटी पर चौड़ी हुई असमानता की खाई | सोमेश झा / नई दिल्ली November 05, 2013 | | | | |
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने भले ही अपने कार्यकाल के दौरान गरीबी में भारी कमी का श्रेय लिया हो, लेकिन बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिले ताजा आंकड़ों से जाहिर होता है कि 2004-05 और 2011-12 के बीच भारत के 29 राज्यों में से लगभग दो-तिहाई में असमानता खासी बढ़ी है। मार्च 2012 के अंत तक भारत की गरीब आबादी का आंकड़ा 15.3 फीसदी अंक गिरकर 21.9 फीसदी रह गया था, जबकि 2004-05 में भारत की 37.2 फीसदी आबादी गरीबी के दायरे में आती थी। हालांकि भारत में असमानता को गिनी गुणांक में मापा जाता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2004-05 के 0.26 से बढ़कर 2011-12 में 0.28 हो गया और शहरी क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा इसी अवधि में 0.35 से बढ़कर 0.37 तक पहुंच गया। गुणांक का दायरा शून्य से एक तक होता है, शून्य का मतलब है पूरी तरह समानता और एक का मतलब पूरी तरह असमानता है। इस प्रकार जितना ज्यादा गुुणांक है, उतनी ही ज्यादा असमानता होगी और देश के 29 राज्यों में से 20 में यही देखने को मिला है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह आंकड़ा सूचना के अधिकार कानून के तहत सरकार से मांगी गई जानकारियों के आधार पर मिला है। गिनी गुणांक एक सांख्यिकीय आंकड़ा है और इसे 2011-12 के लिए हर परिवार के व्यय के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के आंकड़ों (एनएसएसओ) आधार पर निकाला जाता है।
आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में गरीब-अमीर की खाई चौड़ी हो गई है। वहीं 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 0.28 के साथ 1993-94 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। योजना आयोग के पूर्व सदस्य एस आर हाशिम ने कहा, 'यदि गिनी गुणांक बढ़ रहा है, तो देश में गरीबी दर का घटना संदिग्ध हो जाता है।Ó हाशिम ने कहा कि सूचकांक से स्पष्ट संकेत है कि अमीर ज्यादा अमीर हो रहे हैं, वहीं गरीब ज्यादा गरीब हो रहे हैं।
असमानता का यह स्तर कम से कम सात राज्यों कर्नाटक (0.41), उत्तर प्रदेश (0.40), केरल (0.39), छत्तीसगढ़ (0.39), हरियाणा (0.38), पश्चिम बंगाल (0.38) और दिल्ली (0.37) में शहरी इलाकों के राष्ट्रीय स्तर के सूचकांक से काफी ज्यादा है। 2004-05 में हरियाणा और उत्तर प्रदेश में असमानता का स्तर पर पूरे भारत के स्तर से नीचे था। 2004-05 में दिल्ली के शहरी और ग्रामीण इलाकों में असमानता का स्तर राष्ट्रीय स्तर से कम था।
29 में से 14 राज्य ऐसे हैं जहां शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में असमानता बढ़ी है, जिनमें वे चार राज्य दिल्ली, मिजोरम, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं जहां नवंबर और दिसंबर में चुनाव होने जा रहे हैं।
गुजरात ऐसा राज्य है जिसने इस सूचकांक में बेहतर प्रदर्शन किया है। दिलचस्प है कि रघुराम राजन पैनल द्वारा तैयार नए विकास सूचकांक में इसे 'कम विकसितÓ करार दिया गया था। नरेंद्र मोदी की अगुआई वाला राज्य ऐसे तीन राज्यों (अन्य दो आंध्र प्रदेश और सिक्किम हैं) में शामिल है, जहां शहरी और ग्रामीण इलाकों में असमानता में कमी आई है। हालांकि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के चेयरमैन प्रणव सेन ने कहा, 'यह गुणांक पूरे वितरण को मापने का मानक है, लेकिन एक सांख्यिकीविद के रूप में मेरे लिए गरीबी के आंकड़ों की तुलना में इसका कम महत्त्व है।Ó
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