सोने और बर्तन पर कम ही बरसा धन | बीएस संवाददाता / November 01, 2013 | | | | |
आमतौर पर धतेरस के दिन सोने-चांदी के सिक्के और बर्तन की खूब खरीदारी होती है। लेकिन इस धनतेरस न तो सिक्कों पर धन बरसा और न ही बर्तन पर। सराफा कारोबारियों के लिए सोने के सिक्के बेचने पर पाबंदी है। ऐसे में उन्हें चांदी के सिक्कों से उम्मीद थी। लेकिन ग्राहकों की तंग जेब ने कम ही धन बरसाया। पिछले कुछ दिनों से बाजार में आई तेजी से कारोबारी उम्मीद कर रहे थे कि इस बार बिक्री बढ़ सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आभूषण, सिक्कों आदि की बिक्री करीब 15 फीसदी कम रहने का अनुमान है। वहीं सोने से जुड़े निवेश उत्पादों की बिक्री भी करीब आधी रहने की आशंका है। गहनों की खरीद भी अपेक्षाकृत कम हुई। पिछले साल धनतेरस पर रिकॉर्ड 55 टन सोने की बिक्री हुई थी लेकिन इस बार यह 50 टन से भी कम रह सकता है।
महंगाई और कीमतों में इजाफे के कारण बर्तन भी कम ही बिके। कारोबारियों के मुताबिक पिछली धनतेरस के मुकाबले इस बार सिक्कों और बर्तन की बिक्री में 30 से 40 फीसदी कमी आने का अनुमान है। ऑल इंडिया सराफा एसेसिएशन के अध्यक्ष शीलचंद जैन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सोने सिक्के बेचने पर पाबंदी है। लेकिन महंगाई और मंदी के कारण चांदी के सिक्के भी इस धनतेरस पर पिछली बार से 40 फीसदी कम बिके।
दिल्ली बुलियन व ज्वैलर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल कुमार गोयल ने बताया कि गहनों का कारोबार तो पहले ही फीका था लेकिन धनतेरस में भी बिक्री नहीं बढ़ी। गोयल ने कहा कि परंपरा को देखते हुए लोग सिक्के खरीदने आ तो रहे हैं लेकिन वे चांदी के 50 या 100 ग्राम के सिक्कों की बजाय कम वजन वाले 10 ग्राम के सिक्के ज्यादा खरीद रहे हैं।
धनतेरस और इससे पहले थोक कारोबारियों द्वारा खरीदे गए सिक्कों को देखते हुए इस साल कारोबार पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी से ज्यादा कम है। बर्तन व्यापार संघ की दिल्ली इकाई के राकेश जैन ने बताया कि धनतेरस के दिन भी बर्तन कारोबार 30 फीसदी कम रहने का अनुमान है।
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