देश के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से एक, इंडियन ओवरसीज बैंक का कारोबार 30 सितंबर 2013 तक के आंकड़ों के मुताबिक 3.89 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। बैंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एम नरेंद्र ने टीई नरसिम्हन से बातचीत में कहा कि आने वाले दिनों में आईओबी का कारोबार बढ़ाने में एसएमई की भूमिका अहम होगी। प्रमुख अंश..
आप जैसे बैंकों के लिए एसएमई कितना महत्त्वपूर्ण हैं?
इसे देखने का दो नजरिया है, सामाजिक और कारोबारी। ग्रामीण व अर्ध शहरी इलाकों में समग्र विकास और रोजगार सृजन के हिसाब से एसएमई को प्रोत्साहन दिया जाना जरूरी है। और निश्चित रूप से इसमें कारोबार भी है। हाल के दिनों में जहां बैंकों की निर्भरता बड़े कॉरपोरेट घरानों और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए धन देने में रही है, वहां धन का असंतुलन हुआ है। एमएसएमई क्षेत्र ने कार्यशील पूंजी और कम अवधि के कर्ज के क्षेत्र में एक बेहतरीन मौका दिया है।
इससे बैंकों को अपने ऋण जोखिम के विविधीकरण में भी मदद मिली है। साथ ही इससे कर्ज देने में क्षेत्रीय असंतुलन भी कम हुआ है। अन्यथा हम निश्चित भौगोलिक क्षेत्र पर ध्यान देते हैं, जिनकी अपनी समस्याएं हैं। जब बैंक मझोले और बड़े उद्योगों को कर्ज देते हैं तो छोटे कारोबारियों का ध्यान रखना भी जरूरी है क्योंकि वे आपूर्तिकर्ता होते हैं। अगर इस क्षेत्र की कार्यशील पूंजी का ध्यान नहीं रखा गया तो मझोले और बड़े उद्योगोंं पर बुरा असर पड़ेगा।
तो कर्जदाताओं और एसएमई में मतभेद कहां है?
कितने बैंकर हैं जो एसएमई ग्राहकों की जरूरतों को गंभीरता से समझते हैं। दूसरा कागजी कार्रवाई है। ग्रामीण और अर्ध शहरी इलाकों में कर्मचारी सीमित हैं ऐसे में बैंक उनकी जरूरतों को तेजी से नहीं पूरा कर पाजे। ऐसे में तकनीक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। तीसरे, ज्यादातर कारोबारी जरूरी वित्तीय ब्योरा नहीं रखते। वे कार्यशील पूंजी की जरूरत या भविष्य में नकदी की जरूरतों के बारे में निश्चित रूप से नहीं बता पाते। बगैर कागजी कार्रवाई के बैंक कर्ज देने में हिचकिचाते हैं।
बैंक इस पर भी जोर देते हैं कि एसएमई की रेटिंग हो। क्या इससे एसएमई के लिए लागत नहीं बढ़ेगी?
क्रिसिल, इक्रा, डुन ऐंड ब्राडस्ट्रीट जैसी एजेंसियों की ओर से रेटिंग वाले एसएमई को ब्याज दरों में 25-50 आधार अंक की छूट मिलती है। इसके अलावा रेटिंग पर आने वाले खर्च का 75 बोझ नैशनल स्माल इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन वहन कर लेता है।
आपका एसएमई कारोबार कितना बढ़ रहा है?
2011-12 में एसएमई को दिए जाने वाले हमारे कर्ज में 40 प्रतिशत और 2012-13 में करीब 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस क्षेत्र को हमारी ओर से दिया गया कर्ज करीब 24,000 करोड़ रुपे हो गया है और वित्तवर्ष 14 के आखिर तक इसे 30,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है। वृहद आर्थिक परिदृश्य, बिजली कटौती, सूखा और कम नकदी प्रवाह जैसी समस्याओं के चलते अब तक कर्ज देने की रफ्तार थोड़ी कम रही है। लेकिन मॉनसून बेहतर रहा है और त्योहारी सीजन चल रहा है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 13 की तुलना में इस साल कारोबार में 25-30 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
आपकी ओर से दिए गए कुल कर्ज में एसएमई की हिस्सेदारी महज 12 प्रतिशत है, क्या आप इससे संतुष्ट हैं?
नियम है कि खातों की संख्या में 10 प्रतिशत और कर्ज देने में न्यूनतम 20 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी होनी चाहिए। हम दोनों मानकों को पूरा कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के पूर्व एसएमई क्षेत्र की हिस्सेदारी कम से कम 15 प्रतिशत हो जाए।
एसएमई क्षेत्र में गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की क्या स्थिति है?
करीब 7-8 प्रतिशत। बुनियादी ढांचा और अन्य बड़े क्षेत्रों मेंं यह 3-4 प्रतिशत है। लेकिन राशि के हिसाब से यह ज्यादा नहीं है। इसके साथ ही एनपीए का मतलब यह नहीं कि सब कुछ बंद हो गया। उनमें से ज्यादातर के पास परिसंपत्ति है, और वे फिर से काम शुरू कर सकती हैं। किसी भी कारोबार में कुछ डिफाल्ट होता ही है। इस क्षेत्र में एनपीए खतरनाक स्तर पर नहीं है।
क्या इंडियन ओवरसीज बैंक कर्ज देने से आगे, जैसे सलाहकार सेवाएं देने के काम के बारे में भी सोच रहा है?
हम वित्तीय प्रबंधन पर उद्यमियों को सलाहकार सेवाएं देने की शुरुआत करने पर विचार कर रहे हैं। साथ ही इस क्षेत्र से संबंधित अन्य सेवाओं जैसे अतिरिक्त धन का प्रबंधन कैसे करें, आदि पर भी विचार कर रहे हैं। शुरुआत में हम इन सेवाओं के लिए कोई शुल्क नहीं लेगे, लेकिन बाद में इसके लिए थोड़ा शुल्क भुगतान करना होगा।
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