बंगाल की सुरक्षित जमा योजना को हरी झंडी | प्रवाल बसाक / कोलकाता October 22, 2013 | | | | |
राज्य में सारदा जैसी अवैध पोंजी योजनाओं को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य प्रायोजित सुरक्षित जमा योजना का प्रस्ताव किया था, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से हरी झंडी मिल गई है।
पश्चिम बंगाल बुनियादी ढांचा वित्त निगम (डब्ल्यूबीआईडीएफसी) के आवेदन पर रिजर्व बैंक ने राज्य सरकार के इस निकाय को सार्वजनिक जमा की अनुमति दे दी है। एक अधिकारी ने कहा, 'डब्ल्यूबीआईडीएफसी को पहले से ही रिजर्व बैंक ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) का प्रमाणपत्र दिया है। इसने पहले ही विभिन्न विकास योजनाओं के लिए वित्तीय संस्थानों से धन जुटाया है। लेकिन आम लोगों से धन जमा कराने के लिए और ज्यादा मानकों को पूरा करना होता है। हमने रिजर्व बैंक को इस मसले पर लिखा था।Ó
बहरहाल अधिकारी ने कहा कि अभी किसी जमा योजना को शुरू करने मेंं कुछ वक्त लगेगा। अधिकारी ने कहा, 'पहले कुछ मसलों को सुलझाना जरूरी होगा। डब्ल्यूबीआईडीएफसी भर्तियां नहीं करेगा, लेकिन निजी एजेंसियों से मदद ली जाएगी, जो लोगों को इस योजना के बारे में जानकारी देंगी और लोगों को प्रोत्साहित करेंगी। इसके अलावा राज्य सरकार के मौजूदा ढांचे की भी मदद ली जाएगी, जिससे ग्रामीण इलाकों में इस योजना को लागू किया जा सके।Ó
सारदा घोटाले के सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकार प्रायोजित इस योजना को शुरू करने का प्रस्ताव किया था, जिससे खासकर ग्रामीण लोगों को सुरक्षित जमा का विकल्प दिया जा सके। बैंकों व डाकघर की ओर से गांव के गरीब ग्रामीण लोगों के लिए पर्याप्त संख्या में जमा योजनाएं न होने का आरोप लगाते हुए ममता ने कहा था कि इसकी वजह से राज्य में ढेरों चिट फंड काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार इस तरह की योजना पेश करने पर विचार कर रही है, जिससे लोगों की जरूरतें पूरी की जा सकें।
उस समय की गई घोषणा के मुताबिक इस योजना में कोई भी व्यक्ति 1000 से 1,00,000 रुपये तक जमा कर सकेगा। परिवार की ओर से जमा किए जाने पर 5,00,000 रुपये तक जमा किया जा सकेगा। इस योजना की मेच्योरिटी की अवधि एक साल से 5 साल के बीच होगी।
बहरहाल बनर्जी ने साफ किया था कि सरकार प्रायोजित योजना, जिसे उन्होंने सुरक्षित जमा योजना नाम दिए जाने का प्रस्ताव किया था, में ज्यादा रिटर्न नहीं मिलेगा, जैसा कि चिट फंड वादा करते हैं। इस योजना में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की तर्ज पर ही मुनाफा मिलेगा। राज्य सरकार इसके लिए चार राष्ट्रीयकृत बैंकों, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), इलाहाबाद बैंक, यूको बैंक और यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया (यूबीआई) के साथ समझौता करने की कोशिश कर रही है, जिनके जरिये धन का संग्रह होगा और उन पर उचित रिटर्न दिया जाएगा।
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