कार्यवाही में अवरोध से संसद की कम हुई साख | भाषा / October 21, 2013 | | | | |
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा है कि छोटे मोटे मुद्दों को लेकर संसद की कार्यवाही में लगातार पड़ रहे अवरोध के चलते न सिर्फ संस्थान की विश्वसनीयता कम हुई है बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली और छवि के लिए भी 'घातकÓ है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए मीरा ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि संसद के पिछले सत्र के दौरान इसका 73.30 घंटे का कीमती वक्त बर्बाद हो गया। छोटे मोटे मुद्दों को लेकर संसद की कार्यवाही में लगातार अवरोध डालने की प्रवृत्ति बढऩे पर गंभीर चिंता जताते हुए मीरा ने कहा कि सांसदों को अपने विचार पुरजोर तरीके से रखना चाहिए और बेवजह के अवरोधों से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह संतोष की बात है कि कार्यवाही में अवरोध पडऩे के बावजूद लोकसभा ने खाद्य सुरक्षा, भूमि अधिग्रहण, हाथ से मैला हटाने वाले लोगों के पुनर्वास, पेंशन जैसे अहम विधेयक पारित किए। निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को सामाजिक और आर्थिक बदलाव का वाहक बताते हुए मीरा ने कहा कि सख्त कानूनों को लागू कर देना भर ही पर्याप्त नहीं है बल्कि इसके साथ-साथ लोगों की सोच में भी बदलाव लाना जरूरी है।
उन्होंने कहा, 'जब तक लोग अपनी सोच नहीं बदलते हैं तब क कोई सख्त कानून भी कोई अंतर नहीं ला सकेगा।Ó मीरा ने कहा कि पूर्वाग्रहों से उबर सकते हैं और सामाजिक बुराइयों को दूर कर सकते हैं पर इसके लिए सामाजिक एवं आर्थिक समानता सुनिश्चित करने वाले मुद्दों को सदन में पुरजोर तरीके से उठाना होगा।
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