भारतीय समय के मुताबिक, जैसे ही घड़ी की सुइयों ने दिन के 12.30 बजाए, वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड सृजन के रहस्य को समझने के लिए स्विट्जरलैंड-फ्रांस की सीमा पर लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर मशीन को शुरू कर दिया।
यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च की ओर से किए जा रहे मानव इतिहास के इस सबसे बड़े प्रयोग पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई हैं। इस महामशीन में वैज्ञानिक चरणबध्द तरीके से एक समय में कई किलोमीटर में प्रोटॉन दाग रहे हैं।
दक्षिणावृत्त दिशा में किरणों के परीक्षण के बाद सीईआरएन इसे घड़ी की दिशा के विपरीत निर्देशित करेगा। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो आने वाले कुछ हफ्तों में इनकी टक्कर कराई जाएगी। दुनियाभर के करीब 9000 भौतिकशास्त्री यह प्रयोग कर रहे हैं।
कुछ लोगों ने आशंका प्रकट की थी कि इससे प्रलय की स्थिति पैदा हो सकती है, लेकिन सीईआरएन के प्रवक्ता जेम्स गिलिस ने इसे बेबुनियाद करार दिया। चर्चित वैज्ञानिक ब्रिटेन के स्टीफन हॉकिंग्ज ने भी ऐसी किसी आशंका को गलत बताते हुए कहा था कि प्रयोग पूर्णत: सुरक्षित रहेगा।