देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीईओ व एमडी एन चंद्रशेखरन कारोबारी माहौल को लेकर आशावादी हैं, जो कंपनी की दूसरी तिमाही के नतीजे में प्रतिबिंबित हुआ है। ऐसे समय में कंपनी में उनका चार साल पूरा हो गया है, जब उद्योग ने सबसे खराब दौर में से एक का सामना किया और यह मजबूत कंपनी के तौर पर उभरी। शिवानी शिंदे को दिए साक्षात्कार में उन्होंने इस बढ़त को बनाए रखने और तेजी से बदलते तकनीकी वातावरण के साथ तालमेल बिठाए रखने के साथ-साथ समूह के प्रदर्शन में टीसीएस के बढ़ते महत्व पर विस्तार से बातचीत की। मुख्य अंश...
दूसरी तिमाही के नतीजे में कई बेंचमार्क मसलन वॉल्यूम में 7.3 फीसदी की बढ़त, अब तक के सर्वोच्च स्तर पर ऑपरेटिंग मार्जिन और क्रियान्वयन की मजबूत क्षमता देखने को मिली। आपने कहा है कि उतारचढ़ाव जारी रहेगा, ऐसे में क्या यह टिकाऊ साबित होगा?
कुछ न कुछ चिंताजनक बातें हमेशा मौजूद होती हैं। सूक्ष्म नजरिये से देखें तो अनिश्चितता से जुड़े कुछ तत्व होंगे। कुछ निश्चित उद्योग या बाजार में कुछ समस्याएं होंगी। लेकिन तकनीकी क्षेत्र के नजरिये से देखें तो उभरती हुई नई तकनीक की बहुलता से नवोन्मेष में इजाफा हुआ है। इस वजह से दुनिया भर में कंपनियों को दोबारा सोचना पड़ेगा और अपनी प्रक्रियाओं व बिजनेस मॉडलों को फिर से तैयार करना पड़ेगा। इसमें काफी मौके हैं। उपभोक्ता तकनीक में आसानी चाहते हैं, चाहे वह ईआरपी में हो या साझा सेवा आदि में। टीसीएस के नजरिये से देखें तो हमारा पैमाना बड़ा है और इस आधार पर साख के साथ विकास हासिल करने हमेशा ही चुनौती होती है।
अमेरिका की हालिया कामबंदी पर क्या ग्राहकों ने चिंता जताई है? बजट पर इसका कोई असर होगा?
इस वक्त किसी तरह को जोखिम नजर नहीं आ रहा है। लेकिन हम कुछ दिनों तक इंतजार करेंगे।
तकनीकी बदलाव के साथ टीसीएस कैसे तालमेल बिठा रहा है? खास तौर से बिक्री व विपणन आदि में उपयुक्त प्रतिभा हासिल करने के संदर्भ में।
इसी वजह से बाजार पर ध्यान बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए, पहले हम एसएपी या ओरेकल का ईआरपी में क्रियान्वयन पर बातचीत करते थे। अब ग्राहक इस पर बात कर रहे हैं कि कैसे हम इसे आसान बना सकते हैं या फिर निवेश में यह कैसे काम आ सकता है। कुछ लोग वास्तविक समय के हिसाब से डेटा पर नजर डाल रहे हैं। हमारे पास कुछ इकाइयां हैं, जो इन तकनीकों पर ध्यान दे रही हैं। हम प्रतिभाओं के प्रशिक्षण पर निवेश, ग्राहकों के साथ काम करके उसकी समस्याओं आदि को समझने पर जोर देते हैं।
पिछली कुछ तिमाहियों से वॉल्यूम आधारित विकास रहा है। ऐसे में आपको लगता है कि कीमतों में सुधार हो रहा है और इस तरह से सौदे की प्रकृति बदल रही है?
थोड़े समय के लिए वॉल्यूम आधारित विकास रहेगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं हुआ कि कीमतों में किसी तरह की छूट दी जा रही है। पहले भी हमने ऐसा किया है, कई चीजों के लिए रकम एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह सिर्फ सेवाओं के बारे में नहीं है, हमारे पास बड़ी बीपीओ है। कुछ वर्टिकल कुछ तिमाही में बेहतर कर रहे होंगे तो कुछ तिमाही में काम के दिन कम होंगे। ऐसे समय में कीमतों में कमी की कोई बात नहीं है, लेकिन कीमतों में वास्तविक बढ़ोतरी किस समय होगी, यह अलग बात है।
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