बासमती निर्यात से आमदनी में शानदार वृद्धि | भारत ने 2013 में अप्रैल से अगस्त के बीच बासमती निर्यात से प्राप्तियों में 54 फीसदी वृद्घि दर्ज की | | कोमल अमित गेरा / चंडीगढ़ October 13, 2013 | | | | |
डॉलर की अस्थिरता बड़े पैमाने पर निर्यातकों की चिंता बढ़ा सकती है, लेकिन भारत से बासमती चावल निर्यातक इस साल बेहतर प्राप्तियों की उम्मीद कर रहे हैं।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए कहा कि भारत ने 2013 में अप्रैल से अगस्त के बीच बासमती निर्यात से प्राप्तियों में 54 फीसदी की वृद्घि दर्ज की है। हम पिछले साल के मुकाबले 25-30 फीसदी तक की प्राप्तियों के साथ बासमती निर्यात में 10-15 फीसदी की वृद्घि दर्ज कर सकते हैं।
उन्होंने स्पष्टï किया, 'थाईलैंड में ढांचागत समस्याओं की वजह से चावल के कुल निर्यात परिदृश्य में बदलाव आया है और इससे पूरी दुनिया के निर्यातकों को फायदा हुआ है। चूंकि खाद्य वस्तुओं की कीमतें घरेलू और अंतरराष्टï्रीय बाजार में बढ़ रही हैं और बासमती में भी तेजी आ रही है। दुनिया के विभिन्न देशों में भारतीय बासमती की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए हम बासमती चावल निर्यात से प्राप्तियों में अच्छी तेजी की उम्मीद कर रहे हैं।Ó
उन्होंने कहा कि बासमती निर्यात में भारत का स्थान और मजबूत हो सकता है, क्योंकि नई वेरायटी की पूसा 1509 का फील्ड ट्रायल काफी सफल रहा है और नई फसल को बहुत जल्द पहचान मिल सकती है। यह पूसा 1121 की सभी गुणवत्ताओं से लैस है। इससे आगामी वर्षों में निर्यात में इजाफा हो सकता है।
सतनाम ओवरसीज लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक सतनाम अरोड़ा ने बताया कि निर्यात के सभी मानकों पर इस साल पूरी तरह से अमल किया गया है। उन्होंने कहा, 'फसल बेहतर है और निर्यात मांग अच्छी है और कीमतें अधिक उचित हैं। इसलिए हमें अपने निर्यात में 10-15 फीसदी की तेजी की उम्मीद है।Ó
चमनलाल सेतिया एक्सपोट्ïर्स लिमिटेड (महारानी बासमती) के प्रबंध निदेशक विजय सेतिया ने कहा कि निर्यातकों के पास आगे ले जाने लायक स्टॉक कम है।
पिछले कुछ वर्षों में चावल मिलों ने क्षमता में इजाफा किया है, इसलिए वे अधिक मात्रा में धान की पिसाई में सक्षम हैं। श्रेष्ठï वेरायटी के भारतीय चावल की अच्छी पैठ है और पश्चिम एशिया में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, इसलिए इन सभी कारकों का वैश्विक बाजार में अच्छी बिक्री में बड़ा योगदान रहने की संभावना है।Ó जहां निर्यातकों अच्छी उम्मीद लगाए बैठे हैं वहीं किसानों में भी अच्छा प्रतिफल मिलने की उम्मीद बनी हुई है।
संक्षिप्त अवधि वाली नई वेरायटी की पूसा 1509 के लिए पानी की जरूरत काफी कम पड़ती है और यह अच्छी उपज देती है। किसानों को इस साल धान की कीमत लगभग 3300 रुपये से 3400 रुपये प्रति क्विंटल मिल रही है जबकि पिछले सीजन में यह 2200 से 3300 रुपये प्रति क्विंटल थी।
संगरूर के करतार सिंह ने बताया कि अधिक उत्पादन लागत के मौजूदा परिदृश्य में नई बासमती के लिए संभावनाएं अच्छी हैं, क्योंकि इसमें कम समय लगता है। एपीडा के अधिकारी ने यह भी कहा कि पंजाब में बासमती के तहत रकबे में 5 फीसदी तक की वृद्घि हुई है और बेहतर प्रतिफल की वजह से अगले साल बासमती रकबे में वृद्घि की संभावना है।
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