ज्यादा एमईपी व भाव से प्याज निर्यात जमीन पर | रामवीर सिंह गुर्जर / नई दिल्ली October 11, 2013 | | | | |
न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी)फिर से लगने और ऊंचे भाव के कारण प्याज निर्यात में भारी गिरावट देखी जा रही है। सितंबर महीने में पिछले साल के मुकाबले प्याज आठ गुना तक कम निर्यात हुआ है। अगस्त में भी पांच गुना कम निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान निर्यात में 28.48 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले दो महीनों के दौरान प्याज के थोक भाव 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बने हुए हैं। वैसे इस महीने इसमें कमी आई है।
भारतीय राष्टï्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (नेफेड ) के एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि 14 अगस्त को प्याज के निर्यात पर 650 डॉलर प्रति टन एमईपी फिर से लगाया गया था जिससे अगस्त में निर्यात में भारी गिरावट आई। लेकिन प्याज के भाव गिरने के बजाय बढऩे लगे। इसके बाद 19 सितंबर को एमईपी बढ़ाकर 900 डॉलर टन कर दिया। ऐसे में प्याज का निर्यात महंगा होने से इसकी अंतरराष्टï्रीय बाजार में मांग तेजी से गिर गई। लिहाजा सितंबर में महज 19,218 टन प्याज निर्यात हुआ, जबकि पिछले सितंबर में यह आंकड़ा 1.50 लाख टन से अधिक था। अगस्त में भी महज 29,247 टन प्याज का निर्यात हुआ, पिछले अगस्त में यह आंकड़ा 1.56 लाख टन से काफी कम है। अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर अवधि में 7.16 लाख टन प्याज निर्यात हुआ है, जो पिछली समान अवधि के मुकाबले 28.48 फीसदी कम है। पिछले वित्त वर्ष 18.22 लाख टन प्याज निर्यात हुआ था, जो इससे पहले वाले वित्त वर्ष से 17.36 फीसदी अधिक था।
राष्टï्रीय बागवानी एवं अनुसंधान विकास प्रतिष्ठïान के निदेशक आर पी गुप्ता कहते हैं कि अंतरराष्टï्रीय बाजार में भारतीय मुद्रा के हिसाब से प्याज का भाव 25-30 रुपये प्रति किलो चल रहा है। जबकि सितंबर में भारतीय प्याज का निर्यात मूल्य करीब 56 रुपये प्रति किलो रहा। अगस्त में यह 42 रुपये किलो से अधिक था। लिहाजा भारतीय प्याज प्रतिस्पर्धी न होने के कारण इसके निर्यात में भारी कमी देखी जा रही है।
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