डॉलर आय बढ़ाने में जुटी स्पाइसजेट | अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क में विस्तार का है कंपनी का इरादा | | अनीश फडणीस / मुंबई October 08, 2013 | | | | |
डॉलर आय में सुधार और विनिमय दर में उतारचढ़ाव के चलते हुए नुकसान की भरपाई के लिए स्पाइसजेट अंतरराष्ट्रीय संचालन का विस्तार कर रही है। वित्त वर्ष 2013 में 191 करोड़ रुपये का नुकसान उठाने वाली स्पाइसजेट ने विदेशी रूट के लिए अलग तरह की रणनीति अपनाई है और इसने काबुल व ग्वांगझू के लिए उड़ान शुरू की है। भारत की निजी विमानन कंपनी की तरफ से शुरू की जाने वाली यह पहली सेवा है।
अगले कुछ महीने में कंपनी बैंकॉक, दुबई, शारजाह, दम्मम और रियाद के लिए उड़ान शुरू करेगी। अक्टूबर के दौरान नेटवर्क में बैंकॉक शामिल हो जाएगा और विमानन कंपनी का यह दसवां गंतव्य होगा। कुल राजस्व में अंतरराष्ट्रीय संचालन की हिस्सेदारी 11 फीदी है। पिछले वित्त वर्ष में डॉलर में मिलने वाला राजस्व तिगुना हो गया था, लेकिन विदेशी विनिमय दर और खर्च के बीच की खाई चौड़ी हो गई। वित्त वर्ष 2013 में स्पाइसजेट का डॉलर राजस्व 179 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले 59 करोड़ रुपये रहा था। इसके उलट विमानन कंपनी का डॉलर खर्च पिछले वित्त वर्ष में 1511 करोड़ रुपये रहा जबकि एक साल पहले यह 1130 करोड़ रुपये रहा था।
नए रूट पर विमानों के संचालन से कंपनी डॉलर खर्च व आय के बीच की खाई को कम करने की उम्मीद कर रही है। एक सूत्र ने कहा, इस वित्त वर्ष में हम सात बोइंग-737 शामिल कर रहे हैं। इनमें से तीन पहले ही शामिल किए जा चुके हैं। हम इसका इस्तेमाल घरेलू व वैश्विक मार्गों पर करेंगे। दिन में यह विमान देसी मार्गों पर चलेगा जबकि रात में वैश्विक मार्गों पर। वैश्विक मार्गों पर यूनिट लागत कम है और इससे हमें विदेशी मुद्रा में मिलने वाले राजस्व में सुधार में मदद मिलेगी। इस वित्त वर्ष के आखिर तक कंपनी को अंतरराष्ट्रीय राजस्व की हिस्सेदारी 20 फीसदी पहुंचने की उम्मीद है। विमानन कंपनी के पास 56 विमानों का बेड़ा है।
पिछले साल स्पाइसजेट ने दिल्ली-ग्वांगझू, अहमदाबाद-दुबई और वाराणसी-शारजाह जैसे नए मार्गों पर सेवाएं शुरू की थी। इन मार्गों पर संचालन करने वाली यह एकमात्र भारतीय कंपनी है। अब कंपनी की योजना अगले कुछ महीनों में लखनऊ-रियाद, कोच्चि-दम्मम, मदुरै-दुबई मार्ग पर सेवाएं शुरू करने की है।
विमानन कंपनी का नुकसान वित्त वर्ष 2013 में 191 करोड़ रुपये रहा है, जो इससे पूर्व वर्ष में 605 करोड़ रुपये था।
कंपनी ने हालांकि बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसका नेटवर्थ हालांकि नकारात्मक है, पर पिछले कुछ महीने में इसमें सुधार दर्ज किया गया है। विमानन कंपनी कई महीने से रकम उगाहने की कोशिश कर रही है और हिस्सा बेचने के लिए प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर और गल्फ एयरलाइंस के साथ बातचीत कर रही है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
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