रिजर्व बैंक के कदम से एसएमई को मिलेगा लाभ | विजय रॉय / October 06, 2013 | | | | |
हाल में ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी व्यावसायिक और आयात-निर्यात या एक्जिम बैंकों को निर्देश दिया है कि कर्जदारों की निर्यात शाख की गणना इस तरह की जाए ताकि ये रुपये में गिरावट से सुरक्षित रहें। आरबीआई के इस निर्देश से एसएसमई निर्यातकों को खासा फायदा हो सकता है, क्योंकि खस्ता हाल आर्थिक वातावरण में इन्हें पूंजी की कमी से जूझना पड़ रहा है। बैंक अपनी आंतरिक उधारी नीतियों के अनुसार निर्यात साख भारतीय रुपये साथ विदेशी मुद्रा में देते हैं। कुल निर्यात साख सीमा की गणना भारतीय मुद्रा में की जाती है, जबकि विदेशी मुद्रा में दिया गया ऋण मौजूदा विनिमय दरों के अनुसार बदलता रहता है।
रुपये में गिरावट के कारण उपलब्ध नहीं हुई विदेशी मुद्रा में निर्यात साख निर्यातकों के लिए कम कर दी गई। अगर विदेशी मुद्रा में साख का लाभ उठाया गया तो रुपये में इसका मूल्यांकन ऊंचे स्तरों पर हुआ। इसके बाद निर्यातकों को उनकी हिस्सदेारी हिस्से में भुगतान के जरिये कम करने के लिए कहा गया। इतना ही नहीं, अगर निर्यात साख सीमा का आवंटन पूरी तरह नहीं हुआ तो कर्जदारों के लिए उपलब्ध सीमा कम कर दी गई और निर्यातकों को पूंजी उपलब्ध नहीं हुई। निर्यातकों के संगठनों के प्रतिनिधि कई बार आरबीआई से मिले। इसके बाद आरबीआई ने बैंकों को कुल निर्यात साख सीमा की गणना निरंतर आधार, मान लें मासिक आधार पर करने का सुझाव दिया। आरबीआई ने कहा कि यह गणना मौजूदा परिसंपत्तियों की वर्तमान स्थिति, देनदारियों और विनिमय दरों के आधार पर होनी चाहिए और निर्यात साख के मद में सीमा का आवंटन विदेशी मुद्रा में होना चाहिए।
भारतीय निर्यातक संघ के उत्तरी क्षेत्र प्रमुख एस सी रल्हन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हमने पूर्व में आरबीआई से मामले पर विचार करने का आग्रह किया था। आरबीआई के निर्देश के बाद निश्चित तौर पर एसएमसई निर्यातकों को बल मिलेगा। इनकी क्रियाशील पूंजी बाधित नहीं होगी जिससे इनका कारोबार फलेगा-फूलेगा।Ó
उन्होंने कहा, 'रुपये में उतार-चढ़ाव के बाद विदेशी मुद्रा में उधारी पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इसके परिणामस्वरूप रुपये में उच्चतम स्तर पर मूल्यांकन होने से निर्यातकों को हिस्से में भुगतान के जरिये निवेश कम करने को कहा गया। जहां निर्यात साख सीमा का आवंटन पूरी तरह नहीं होता है वहां उपलब्ध सीमा कम कर दी जाती है, जिससे निर्याताकों के लिए फंड नहीं बचता है।Ó
इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए पंजाब चैंबर्स ऑफ स्मॉल एक्सपोटर्स के अश्विनी कोहली ने कहा, 'मौजूदा आर्थिक माहौल में आरबीआई के निर्देश के बाद एसएमई निर्याताकों को आवश्यक क्रियाशील पूंजी उपलब्ध हो जाएगी। ऐसा नहीं होता तो कई एसएमई खाते कर्ज के बोझ तले दब गए होते। हम आरबीआई के निर्णय का स्वागत करते हैं और प्री और पोस्ट-शिपमेंट पर मार्जिन कम करने का आग्रह करते हैं। मौजूदा समय में यह 10-25 प्रतिशत के बीच है।Ó आरबीआई के परिपत्र के अनुसार बैंक निर्यात साख में विदेशी मुद्रा वाले हिस्से को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित कर सकते हैं जिससे रुपये में आने वाले उतार-चढ़ाव से निर्यातकों को सुरक्षा मिलेगी।
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