एफसीएनआर-बी जमाओं से 1 अरब डॉलर जुटाएगा बैंक ऑफ इंडिया | अभिजीत लेले / मुंबई September 29, 2013 | | | | |
आरबीआई की तरफ से मुहैया कराई गई करेंसी स्वैप सुविधा का फायदा उठाते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया ने विदेश में बसे भारतीयों से विदेशी मुद्रा प्रवासी बैंक (एफसीएनआर-बी) जमाओं के जरिये करीब 1 अरब डॉलर जुटाने की योजना बनाई है। 4 सितंबर को आरबीआई ने विदेशी मुद्रा संसाधनों की आपूर्ति में सुधार की खातिर एफसीएनआर-बी डॉलर फंड जुटाने के लिए स्वैप विंडो खोलने का ऐलान किया था। इसका मकसद डॉलर के खिलाफ रुपये में आ रही गिरावट को थामना भी था।
बीओआई की चेयरपर्सन व प्रबंध निदेशक वी अय्यर ने कहा, बैंंक स्वैप सुविधा का इस्तेमाल करेगा और इसकी योजना सितंबर 2013 के आखिर तक करीब 45 करोड़ डॉलर (जबकि कुल 1 अरब डॉलर जुटाए जाएंगे) जुटाने की है।
उन्होंने कहा, स्वैपिंग के बाद एफसीएनआर-बी के फंड की लागत करीब 8.5 फीसदी है, जो मौजूदा बाजार दर के मुकाबले सस्ती है। बीओआई की जमाओं की लागत जून 2013 के आखिर में 5.71 फीसदी थी, जो मार्च 2013 के आखिर में 5.75 फीसदी रही थी।
एफसीएनआर-बी जमाओं के लिए आरबीआई को बैंकों की तरफ से विशेष रियायती विंडो पर विचार करने का निवेदन प्राप्त हुआ था। इसके मुताबिक आरबीआई ने एफसीएनआर-बी डॉलर फंड के स्वैप विंडो की अनुमति दी, जो कम से कम तीन साल के लिए जुटाया गया हो और इसकी दर 3.5 फीसदी तय की गई थी। यह योजना 30 नवंबत तक प्रभावी रहेगी।
आरबीआई के स्वैप विंडो का इस्तेमाल करने वाला पहला बैंक डॉयचे बैंक था। इसने एफसीएनआर-बी के जरिये करीब 45 करोड़ डॉलर जुटाए और केंद्रीय बैंक के साथ इसे स्वैप कर लिया।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, एफसीएनआर-बी जमाओं में जुलाई 2013 के अंत तक 15.4 अरब डॉलर बकाया था, जो जुलाई 2012 में 14.34 अरब डॉलर रहा था। बार्कलेज ने अपने क्लाइंट को भेजे नोट में कहा है कि एफसीएनआर-बी जमाओं के खिलाफ अमेरिकी डॉलर के दायित्व को स्वैप करने की बैंकों को दी गई सुविधा आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की तरफ से अल्पावधि वाला सबसे महत्त्वपूर्ण कदम है। इस कदम और दूसरे कदमों के जरिए अगले तीन महीने में 10 अरब डॉलर जुटाए जा सकते हैं और रुपये के लिए यह निकट भविष्य में काफी महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
|