दूरसंचार में घटते निवेश से चिंता | सौनक मित्रा / September 27, 2013 | | | | |
दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में आई तेज गिरावट से चिंतित आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने दूरसंचार विभाग के सचिव एमएफ फारूकी को पत्र लिखकर उनसे दूरसंचार क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के विचार की समीक्षा करने के लिए कहा है।
हालिया बातचीत में मायाराम ने कहा कि विदेशी निवेश प्रवाह में आई गिरावट से देश के चालू खाता घाटे (सीएडी) पर प्रतिकूल असर पड़ा है। आर्थिक मामलों के विभाग के आंतरिक आकलन के मुताबिक पिछले वर्ष के दौरान अन्य क्षेत्रों में हुए विदेशी निवेश के मुकाबले दूरसंचार क्षेत्र में वर्ष 2011-12 में विदेशी निवेश में करीब 81 फीसदी की गिरावट आई है। आकलन के मुताबिक अप्रैल 2000 से मार्च 2013 के दौरान दूरसंचार क्षेत्र में कुल एफडीआई करीब 58,732 करोड़ रुपये रहा जो कि इसी अवधि में देश में कुल विदेशी निवेश का महज सात फीसदी है।
औद्योगिक नीति और प्रोत्साहन विभाग (डीआईपीपी) के आंकड़ों के आधार पर किए गए आकलन के मुताबिक वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान दूरसंचार क्षेत्र में कुल 12,270 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया जबकि वित्त वर्ष 2011-12 में यह कम होकर 9,012 करोड़ रुपये हो गया। गिरावट का दौर जारी रहा और वित्त वर्ष 2011-12 में यह कम होकर महज 1,654 करोड़ रुपये हो गया। मायाराम ने कहा कि अधिकांश शीर्ष दूरसंचार कंपनियों की भारत में किसी प्रकार से उपस्थिति नहीं है जिनमें जापान की कंपनी निप्पन टेलीग्राफ ऐंड टेलीफोन, दक्षिण कोरियाई कंपनी एसके होल्डिंग्स, चीनी कंपनी चाइना मोबाइल कम्युनिकेशंस और जर्मनी की कंपनी डॉयचे टेलीकॉम शामिल हैं।
मायाराम के आकलन के मुताबिक राजस्व के आधार पर ग्लोबल 500 सूची में शामिल शीर्ष 18 दूरसंचार कंपनियों में से 12 की भारत में मौजूदगी नहीं है और न ही छह फॉच्र्यून 500 कंपनियां भारत में अपना परिचालन कर रही हैं। फिलहाल भारत में ब्रिटिश दूरसंचार कंपनी वोडाफोन पीएलसी की वोडाफोन इंडिया में 64 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि नॉर्वे की कंपनी टेलीनॉर की टेलीविंग्स कम्युनिकेशंस में 74 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं मलेशियाई कंपनी मैक्सिस एयरसेल में 74 फीसदी हिस्सेदारी रखती है जबकि रूसी कंपनी सिस्तेमा की सीडीएमए सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज में 56.68 फीसदी हिस्सेदारी है।
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