निजी हाथों में लखनऊ, जयपुर हवाई अड्डे | शर्मिष्ठा मुखर्जी / नई दिल्ली September 26, 2013 | | | | |
लखनऊ, जयपुर, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद और गुवाहाटी हवाई अड्डे को जल्द ही निजी हाथों में सौंपा जाएगा। चालू वित्त वर्ष के दौरान इन हवाई अड्डïों को निजीकरण के लिए चिह्निïत किया गया है। इसके चलते विभिन्न निजी कंपनियों की ओर से इन हवाई अड्डïों के विकास और आधुनिकीकरण पर तकरीबन 4,250 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश होने की संभावना है।
नागरिक उड्डïयन मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी योग्यता दस्तावेज के मुताबिक इन हवाई अड्डïों के विकास, प्रबंधन और परिचालन का काम निजी हाथों में सौंपा जाएगा। हवाई अड्डïा निजीकरण कार्यक्रम के दूसरे चरण के तहत प्रत्येक हवाई अड्डïे के विकास और उन्नयन पर 500 से 1200 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है। वैसे मंत्रालय ने अभी खर्च का प्रारंभिक अनुमान लगाया है लेकिन हवाई अड्डïे पर विकास कार्यों की जरूरत और सुविधा बहाल करने की स्थिति के आधार पर यह तय होगा कि वास्तव में यहां कितना निवेश होगा। वैसे पात्र बोलीकर्ता प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) में वास्तव लागत साझा कर सकते हैं।
बहरहाल निजी कंपनियों का चेन्नई हवाई अड्डïे के लिए 1200 करोड़ रुपये और लखनऊ हवाई अड्डïे के लिए 500 करोड़ रुपये निवेश करना होगा। लखनऊ हवाई अड्डïे पर बोलीकर्ता कंपनी को टर्मिनल भवन का विस्तार, रनवे पर कारपेट बिछाने, कार पार्क को दूसरी जगह स्थानांतरित करने, कार्गो टर्मिनल का निर्माण, तीन अतिरिक्त हैंगर का निर्माण, नए फायर स्टेशन, सीआईएसएफ बैरक और प्रशासनिक ब्लॉक का निर्माण आदि कार्य करना होगा।
लखनऊ हवाई अड्डïे के निजीकरण के लिए चयनित बोलकर्ता के नाम की घोषणा इसी साल 28 अक्टूबर को की जाएगी। कोलकाता हवाई अड्डïे के विकास और आधुनिकीकरण पर 700 करोड़ रुपये निवेश की योजना तैयार की गई है। यहां भी एयर साइड कॉरिडोर समेत पुराने घरेलू टर्मिनल भवन को आधुनिक बनाने समेत मुख्य रनवे की क्षमता बढ़ाने, मेट्रो से संपर्क आदि कार्य किए जाएंगे।
इसी तरह चेन्नई हवाई अड्डïे पर एक नया घरेलू टर्मिनल का भी निर्माण कराया जाएगा। इसके अलावा इसके समानांतर एक टैक्सी ट्रैक का निर्माण और पुराने अंतरराष्टï्रीय टर्मिनल भवन का आधुनिकीकरण, मेट्रो रेल से संपर्क, आम उपयोग के लिए कार्गो टर्मिनल का निर्माण, बहु मंजिला कार पार्क आदि का निर्माण भी इसमें शामिल है। कंपनियों को हवाई अड्डïे के विकास का काम 3 से 4 साल में पूरा करना होगा।
चेन्नई और लखनऊ हवाई अड्डïे के लिए बोली लगाने की दौड़ में कम से कम 11 कंपनियां शामिल हैं। इसमें टाटा प्रोजेक्टस, टाटा रियल्टी ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, जीएमआर ग्रुप, रिलायंस एडीआईजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंस सर्विस (आईएलऐंडएफएस) आदि प्रमुख हैं।
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