रुपये ने कुतरा प्लास्टिक! | रुतम वोरा और सुशील मिश्र / वडोदड़ा/मुंबई, September 17, 2013 | | | | |
पॉलिमर की कीमतों में जबरदस्त उछाल और अन्य कच्चे माल की कीमतें बढऩे से प्लास्टिक उद्योग चरमरा गया है। साथ ही नकदी की किल्लत और वैश्विक मंदी के कारण देश के करीब 50 हजार से ज्यादा प्लास्टिक इकाइयों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें ज्यादातर छोटी-मझोली (एसएमई) इकाइयां शामिल हैं। कारोबारियों के मुताबिक, पॉलिमर की कीमतों में एक दशक में सबसे ज्यादा तेजी आई है। पिछले 6 माह के दौरान इसकी कीमतों में तकरीबन 25 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। कारोबारियों के अनुसार पॉलिमर की औसत कीमत 110 से 125 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।
गुजरात प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (जीएसपीएमए) के अध्यक्ष रमेश थुमर ने कहा, 'कच्चे माल की लागत बढऩे से कई विनिर्माण इकाइयों पर बंदी का खतरा मंडरा रहा है। ज्यादातर प्लास्टिक इकाइयां छोटे स्तर पर उत्पादन करती है और बहुत कम मार्जिन होता है। उनके पास कीमतों में बढ़ोतरी से बचने के लिए कोई वित्तीय मदद नहीं है।Ó
पॉलिमर का ज्यादातर आयात किया जाता है, ऐसे में रुपये में कमजोरी और उतार-चढ़ाव से भी इस उद्योग पर असर पड़ रहा है। प्लास्टिक उद्योग से जुड़े छोटे कारोबारियों की संस्था ऑल इंडिया प्लास्टिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एप्मा) के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष गौड़ के अनुसार मंदी और बढ़ती महंगाई के कारण छोटे कारोबारियों के सक्षम इकाइयों पर ताला जडऩे की स्थिति बन गई है। ऐसे में सरकार द्वारा सकारात्मक पहल नहीं होती है तो 50 हजार प्लास्टिक इकाइयों में काम करने वाले करीब 40 लाख लोग बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार बैंकों की नीतियां सरल कर एसएमई की अनुमोदित कार्यशील पूंजी में 30 फीसदी की बढ़ोतरी करे तो कुछ हद तक उद्योग का सहारा मिल सकता है।
हालांकि बड़े उद्योगों पर इसका खास असर होता नहीं दिख रहा है। सुप्रीम इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक एम पी तपाडिय़ा ने कहा कि भले ही लागत बढ़ गई है और उद्योगों के पास नकदी की किल्लत है, असके बावजूद उद्योग अच्छी वृद्घि करने में सक्षम है। हालांकि यह पिछले साल के 12 फीसदी वृद्घि दर से कम हो सकता है।
प्लास्टिक उद्योग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि सरकार इस उद्योग को बचाने के लिए कच्चे माल जैसे पीपी, पीई, पीवीसी, पोलिस्टिरिन पर सीमा शुल्क 7.5 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करे और आयातित कच्चे माल पर लगने वाले एंटी डंपिंग ड्यूटी समाप्त की जाए। प्लास्टिक उद्योग के कारोबारियों ने अपनी समस्याओं के बारे में वित्त मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय को एक ज्ञापन दिया है।
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