कंपनियों के बीच होगा 'संघर्ष' | सुरजीत दास गुप्ता / नई दिल्ली September 12, 2013 | | | | |
दूरसंचार क्षेत्र में अगला बड़ा संघर्ष 900 मेगाहट्र्ज बैंड में होने वाला है क्योंकि ट्राई की सिफारिशों से इस संबंध में एकाधिकार समाप्त हो गया। अब भारती एयरटेल, वोडाफोन और सरकारी कंपनी एमटीएनएल व बीएसएनएल के साथ-साथ लूप जैसे कुछ ही ऑपरेटरों के पास ही यह स्पेक्ट्रम है।
ट्राई ने जीएसएम ऑपरेटरों की उस मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें इन्होंने 900 मेगाहट्र्ज बैंड में कम से कम 2.5 मेगाहट्र्ज उनके लिए आरक्षित करने की मांग की थी। मौजूदा समय में इन सर्कलों में सिर्फ 3 ऑपरेटर हैं जिनके पास 900 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम है। लेकिन अपनी सिफारिशों से नियामक ने और कंपनियों व नई कंपनियों मसलन रिलायंस जियो, वीडियोकॉन व यहां तक कि टेलिविंग्स के लिए प्रतिस्पर्धा का दरवाजा खोल दिया है। माना जा रहा है कि ये कंपनियां संघर्ष में शामिल हो जाएंगी, जब अगले साल लाइसेंस का नवीनीकरण होगा। जीएसएम ऑपरेटर हालांकि 800 मेगाहट्र्ज बैंड में 10 मेगाहट्र्ज और खोलने के लिए जोर दे रहे हैं, जो सीडीएमए कंपनियों के भविष्य के लिए है और नीलामी में भी यह उन्हीं के लिए रखा गया है। इससे कुल उपलब्ध स्पेक्ट्रम में इजाफा होगा, जिसे दूरसंचार उद्योग सबसे ज्यादा सक्षम बैंड मानता है।
दूरसंचार कंपनियां 900 मेगाहट्र्ज में ज्यादा से ज्यादा स्पेक्ट्रम इसलिए हासिल करना चाहती हैं क्योंकि यह 1800 मेगाहट्र्ज बैंड के मुकाबले कम से कम 1.5 गुना ज्यादा सक्षम है। इसका मतलब हुआ कम पूंजीगत खर्च और संचालन की लागत में कमी। साथ ही ट्राई के आकलन के मुताबिक, इस बैंड के इस्तेमाल से पूंजीगत खर्च में 40 फीसदी की बचत होगी और 2100 मेगाहट्र्ज बैंड से तुलना करें तो कुल लागत में 30 फीसदी की कमी आएगी। रिलायंस जियो 4जी सेवाओं के लिए इसी बैंड का इस्तेमाल करेगी। वैश्विक स्तर पर 900 मेगाहट्र्ज बैंड का इस्तेमाल वॉयस के अलावा 3जी व 4जी सेवाओं में किया जाता है। ऐसे में इस स्पेक्ट्रम पर नियंत्रण से
दूरसंचार कंपनियों को बाजार में बढ़त मिलेगी।
वीडियोकॉन टेलिकम्युनिकेशंस के सीईओ अरविंद बाली कहते हैं, निश्चित तौर पर हम 900 मेगाहट्र्ज पर नजर डाल रहे हैं क्योंकि हम इस पर 4जी सेवाओं की पेशकश कर सकते हैं और यह ज्यादा सक्षम है। जानकारों का कहना है कि 4जी सेवाओं के लिए रिलायंस जियो 2100 मेगाहट्र्ज बैंड का इस्तेमाल कर रही है और इसे करीब तीन गुना और टावर की दरकार है। यह कंपनी घरों व कार्यालयों में फैलाव के लिए निश्चित तौर पर किफायती व सक्ष
मौजूदा समय में करीब 22 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम 900 मेगाहट्र्ज में उपलब्ध है और इसका इस्तेमाल हो रहा है। ट्राई ने कहा है कि सभी कंपनियों को कम से कम 5 मेगाहट्र्ज के लिए बोली लगानी होगी। ऐसे में यह सिर्फ चार कंपनियों के लिए ही पर्याप्त है।
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