स्पेक्ट्रम नीलामी में अंतर की रकम | बीएस संवाददाता और एजेंसियां / नई दिल्ली September 11, 2013 | | | | |
संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने पिछले साल नवंबर के दौरान हुई नीलामी की कीमत और अगले दौर की नीलामी की प्रस्तावित कीमत के बीच की अंतर राशि को वापस किए जाने की दूरसंचार कंपनियोंं की मांग को खारिज कर दिया है।
सोमवार को दूरसंचार नियामक भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान स्पेक्ट्रम की आरक्षित कीमत को 37 फीसदी कम किये जाने की सिफारिश की है। इस सिफारिश के आधार पर कुछ दूरसंचार कंपनियों ने पिछले साल नवंबर की नीलामी के दौरान ज्यादा भुगतान की गई रकम को लौटाने की अपील की है।
दूरसंचार उद्योग के साथ खुली परिचर्चा के दौरान वीडियोकॉन टेलीकम्युनिकेशंस के मुख्य कार्याधिकारी अरविंद बाली ने पुरानी तथा नई कीमत के बीच की रकम को वापस किए जाने की बात रखी। सिब्बल ने कहा कि किसी ने नीलामी में शामिल होने के लिए आपके साथ जबरदस्ती नहीं की थी और उन्होंने स्पष्टï किया कि ऐसी किसी भी मांग को हमारा विभाग स्वीकार नहीं करेगा। वीडियोकॉन, सिस्तेमा और टेलीविंग्स जैसी नई दूरसंचार कंपनियों एवं आइडिया सेल्युलर ने नवंबर में ट्राई की नई सिफारिशों के मुकाबले 4,000 करोड़ रुपये अधिक का भुगतान किया। अब ट्राई ने स्पेक्ट्रम की आरक्षित कीमत को कम किये जाने की सिफारिश की है।
सिब्बल के साथ बैठक में भारती एयरटेल के मुख्य कार्याधिकारी गोपाल विट्टïल, रिलायंस कम्युनिकेशंस के प्रेसिडेंट गुरदीप सिंह, वोडाफोन के नियामकीय प्रमुख टी वी रामचंद्रन, टाटा टेलीसर्विसेज के प्रबंध निदेशक श्रीनाथ नरसिम्हन, आइडिया सेल्युलर के प्रबंध निदेशक हिमांशु कंपानिया समेत वीडियोकॉन, सिस्तेमा, एयरसेल समेत अन्य दूरसंचार कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। हालांकि सिब्बल के जबरदस्ती वाले बयान को अन्य अधिकारियों ने बकवास करार दिया। एक दूरसंचार कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) ने कहा, 'निश्चित तौर पर हमें मजबूर किया गया। सिब्बल यह भूल रहे हैं कि अगर हमने नीलामी में भाग नहीं लिया होता तो हम 1,650 करोड़ रुपये गंवा देते जो कि हमने अखिल भारतीय लाइसेंस हासिल करने के लिए दिया था और जिसे बाद में सर्वोच्च न्यायायल ने रद्द कर दिया।Ó
अधिकारी ने कहा, 'हमारा पूरा का पूरा निवेश बर्बाद हो जाता और हम अपने सभी उपभोक्ताओं को गंवा देते। ऐसी स्थिति में हमारे पास फिर क्या विकल्प था।Ó सिब्बल ने हालांकि कुछ प्रमुख विवादित मुद्दों पर स्थिति साफ करने की कोशिश की जिसमें लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन करने के मामले में प्रति सर्किल के लिहाज से न्यूनतम 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाये जाना शामिल है। दूरसंचार कंपनियों पर अभी तक हजारों करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया जा चुका है। सिब्बल ने इस मसले का समाधान किए जाने के लिए 60 दिनों का समय दिया।
सिब्बल ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि मेरे मंत्रालय के अधिकारी प्रत्येक उल्लंघन खुले दिमाग से विचार करेंगे और उल्लंघन की प्रकृति को देखते हुए जुर्माना तय करेंगे।Ó उन्होंने कहा कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं और इस दिशा में कोई प्रगति नहीं होती है तो मैं यह शक्ति ट्राई को दे दूंगा। सिब्बल ने कहा कि जल्द ही विलय एवं अधिग्रहण दिशानिर्देशों को जारी किया जायेगा।
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