पॉलिसी में उप-सीमाओं पर करें विचार | अनिल रेगो / September 08, 2013 | | | | |
स्वास्थ्य बीमा लेना एक महत्त्वपूर्ण निवेश माना जाता है। स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और इससे वित्तीय जोखिम भी खासा बढ़ जाता है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।
बीमार पडऩे के डर के अलावा कुछ अन्य मद में खासा खर्च होता है जिससे वित्तीय बोझ बढऩा लाजिमी हो जाता है। यहां तक कि एक से दो दिन अस्पताल में रहने का खर्च भी आप की नाक में दम कर सकता है।
बात जब स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के चयन की आती है तो तमाम बातें सामने आती हैं। बाजार में इस समय विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी मौजूद हैं और इनमें अपने लिए उपयुक्त पॉलिसी का चयन करना उतना आसान नहीं रह गया है। चयन से पहले स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के कई पहलुओं पर विचार करने की जरूरत होती है। भारत में आम तौर पर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में अस्पताल में भर्ती होने पर आने वाले खर्च का वहन होता है। कुछ बीमा पॉलिसियां गंभीर बीमारियों के लिए भी बीमा सुरक्षा देती हैं। लोगों को उन्हीं पॉलिसियों का चयन करना चाहिए, जो उनकी अधिक से अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। यह याद रखें कि स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम की हमेशा तुलना नहीं की जा सकती है। एक बीमा पॉलिसी अनुबंध के नियम और शर्तें अलग-अलग होती हैं। पॉलिसी लेने से पहले प्रीमियम, डिडक्टिबल, को-पेमेंट आदि की समीक्षा करनी चाहिए, साथ ही लोगों की नजर में कम आने वाले दूसरे पक्षों पर भी विचार करना चाहिए।
इन्हीं में से एक है हॉस्पिटल नेटवर्क। पॉलिसी के तहत अस्पतालों की संख्या जितनी अधिक होगी, पॉलिसी भी उतनी ही अच्छी होगी। पॉलिसी से जुड़ी शर्तें भी जरूर देख लें। कुछ दवाई का खर्च, डॉक्टर की फीस और स्वास्थ्य लाभ के दौरान रकम की पेशकश करती हैं। कुछ पॉलिसियों में केवल अस्पताल के खर्च का ही वहन होता है। एक अच्छी स्वास्थ्य पॉलिसी में अस्पताल में भर्ती किया जाना, डॉक्टर की उपलब्धता, दवाइयां, आपात सुविधाएं, दांत और आंख से जुड़े मुद्दे, दुर्घटना कवर, प्रयोगशाला जांच और बीमारी से उबरने के दौरान निश्चित रकम की पेशकश आदि बातें शामिल होनी चाहिए। बीमा कंपनियां कुल कवर उप-श्रेणियों के लिए उप-सीमा के साथ सीमित कर देती हैं। मिसाल के तौर पर अगर बीमा कवर 5 लाख रुपये है तो दवाई के लिए 50,000 सीमा, 3 लाख रुपये शल्य चिकित्सा के लिए निर्धारित की जा सकती हैं। स्वास्थ्य पॉलिसी लेने से पहले इन पहलुओं पर जरूर विचार करना चाहिए।
ज्यादातर बीमा कंपनियां डिडक्टिबल और को-पे की शर्त शामिल करती हैं। इसका मतलब हुआ कि आपको एक हिस्से का वहन करना होगा। मिसाल के तौर पर अगर डिडक्टिबल 10 प्रतिशत है और आपका स्वास्थ्य खर्च 1 लाख रुपये है तो आपको 10,000 रुपये देना होगा और बाकी 90,000 का भुगतान कंपनी करेगी। आदर्श तौर पर उन्हीं पॉलिसियों का चयन करना चाहिए, जो 100 प्रतिशत खर्च वहन करती है, भले ही प्रीमियम अधिक हो। लंबी अवधि में यह फायदेमंद साबित होती है।
प्राय: 'प्री-एक्जिस्टिंगÓ क्लाउज बीमा पॉलिसी का हिस्सा होते हैं। इनके तहत पहले से मौजूदा बीमारियों का (मधुमेह, हृदय की स्थिति) का कवर नहीं मिलता है। यह विभिन्न कंपनियों पर निर्भर करता है। कुछ कंपनियां इन बीमारियों का बीमा करने से तुरंत इनकार कर देती हैं और कुछ अतिरिक्त प्रीमियम लेकर इनका कवर देती हैं।
फैमिली-फ्लोटर प्लान का चयन आदर्श माना जाता है। इसमें पूरे परिवार को बीमा सुरक्षा मिलती है जिससे धन की बचत होती है और बीमारी की हालत में कम मुश्किलों का सामना करना होता है। अगर परिवार में पति, पत्नी ही तो भी फैमिली फ्लोटर योजना लेनी चाहिए।
पॉलिसी के नवीकरण का पहलु भी खासा महत्त्वपूर्ण है। जब आपकी उम्र 30 साल से कम होती है तब प्रीमियम कम लगता है। उम्र बढऩे के साथ ही प्रीमियम भी बढ़ जाता है और कई मामलों में पॉलिसी की अवधि भी समाप्त हो जाती है। लिहाजा, ऐसी स्वास्थ्य पॉलिसी का चयन करना चाहिए, जिसमें नवीकरण की उम्र सबसे लंबी होती है, ताकि आपको अधिक से अधिक समय तक बीमा कवर का लाभ मिल सके। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का सबसे बड़ा फायदा कर बचत का है। धारा 80 डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम (वरिष्ठï नागरिकों के लिए 20,000 रुपये तक और अन्य के लिए 15,000 रुपये) कुल कर योग्य आय में घटा दिया जाता है।
लेखक राइट हॉराइजन्स के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी हैं।
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