50 अरब डॉलर का हुआ करेंसी स्वैप | वृष्टि बेनीवाल / सेंट पीटर्सबर्ग September 06, 2013 | | | | |
डॉलर के मुकाबले रुपया फिलहाल 65 के स्तर पर बना हुआ है और इस बीच राहत की खबर यह है कि भारत और जापान ने करेंसी स्वैप (मुद्रा अदला बदली) को तिगुने से अधिक करने का फैसला लिया है। फिलहाल भारत और जापान के बीच 15 अरब डॉलर का करेंसी स्वैप समझौता है और अब इसे बढ़ाकर 50 अरब डॉलर कर दिया गया है। यह दिसंबर 2015 तक प्रभावी रहेगा। भारत का जापान के साथ मुद्रा अदला बदली करार है और इसके तहत जापान भी डॉलर के मुकाबले येन की अदला बदली कर सकता है।
स्पष्टï शब्दों में कहा जाये इसका मतलब यह हुआ कि जापान भारतीय रुपये के बदले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को डॉलर देगा और दूसरी तरफ भारत का केंद्रीय बैंक येन के बदले जापान को डॉलर देगा और इस अदला बदली की मदद से आपात स्थिति में दोनों देशों की मुद्राओं को स्थिरता मिलेगी। मुद्रा अदला बदली भारतीय रिजर्व बैंक और बैंक ऑफ जापान के बीच होगा।
जी-20 समूह की बैठक से इतर भारत और जापान के बीच हुई द्विपक्षीय बातचीत के बाद दोनों मुल्कों ने मुद्रा अदला बदली समझौते की घोषणा की। मुद्रा अदला बदली समझौते का इस्तेमाल आपात स्थितियों में किया जाता है। भारत की तरफ से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, 'दोनों सरकारों ने मौजूदा द्विपक्षीय मुद्रा अदला बदली समझौते को बढ़ाने का निर्णय लिया है और इसे बढ़ाकर 15 अरब डॉलर से 50 अरब डॉलर कर दिया गया है।Ó
विदेशी मुद्रा भंडार के कमजोर होने की स्थिति में या फिर सटोरियों द्वारा मुद्राओं को कमजोर किय जाने की स्थिति में इस व्यवस्था का लाभ मिलेगा। मुंबई से जारी बयान में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा, 'इस व्यवस्था का मकसद संभावित अल्पकालिक तरलता अंतर को पाटना और मौजूदा अंतरराष्टï्रीय वित्तीय व्यवस्थाओं को सहयोग देना है।Ó
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा कि मुद्रा अदला बदली समझौते से विदेशी मुद्रा भंडार को राहत मिलेगी। उन्होंने कहा, 'यह एक तरह से बीमा की तरह है और इसका इस्तेमाल तभी होता है जब समस्या हो। बदतर हालात में इससे काफी मदद मिलेगी। आज के उतार चढ़ाव के समय में किसी को नहीं पता कि कब किसकी जरूरत पड़ जाये। लेकिन हां इस तरह के समझौतों से हम अपने आप को वैश्विक संकट से नहीं बचा सकते लेकिन हां निश्चित तौर पर इससे समस्या को कम करने में मदद मिलेगी।Ó
भारत और जापान ने तीन सालों के लिए 4 दिसंबर 2012 को 15 अरब डॉलर के लिए द्विपक्षीय मुद्रा अदला बदली समझौते पर हस्ताक्षर किया था। यह समझौता पूर्ववर्ती समझौते की जगह हुआ था जिस पर दोनों मुल्कों ने वर्ष 2008 में हस्ताक्षर किये थे। 2008 का समझौता 3 अरब डॉलर की राशि को लेकर किया गया था। वर्ष 2008-09 की मंदी से गुजरने के बावजूद भी वर्ष 2008 के समझौते का कभी इस्तेमाल ही नहीं हो पाया। मुद्रा अदला बदली समझौते की राशि में तीन गुना इजाफे का मतलब साफ है कि भारत रुपये की कमजोरी से निपटने के मामले में कोई कसर नहीं छोडऩा नहीं चाहता। अमेरिकी सरकार द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज को वापस लिए जाने की आशंका की वजह से रुपये में गिरावट का दौर जारी है।
चालू वित्त वर्ष के दौरान 6 सितंबर तक रुपया 20.21 फीसदी कमजोर हो चुका है। सबसे ज्यादा गिरावट 22 मई के बाद आनी शुरू हुई जब अमेरिका में प्रोत्साहन पैकेज को वापस लिये जाने की चर्चा ने जोर पकड़ी। जोशी ने कहा कि इस समझौते से यह भी संकेत जायेगा कि भारत के पास अपने चालू खाता घाटे को पाटने के लिए अब विकल्प है।
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