जीएमआर इन्फ्रा में टेमासेक व आईडीएफसी लेगी हिस्सा! | रघुवीर बदरीनाथ / बेंगलूर September 02, 2013 | | | | |
सिंगापुर की टेमासेक और आईडीएफसी की अगुआई में पीई निवेशक (प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर) अपने निवेश के बदले जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर और जीएमआर एनर्जी में जल्द ही हिस्सेदारी ले सकते हैं। साल 2010 के आखिर में इन्होंने यहां 30 करोड़ डॉलर का निवेश किया था।
पिछले कुछ महीनों से इस बाबत बातचीत चल रही थी और यह कदम उसी का एक हिस्सा है। इस कदम से पीई इन्वेस्टरों को दिए गए कंपल्सरी कनवर्टिबल प्रेफरेंस शेयर (सीसीपीएस) की पुनर्खरीद जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर को नहीं करनी पड़ेगी। टेमासेक ने इसमें 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। जीएमआर इन्फ्रा ने इस खबर पर टिप्पणी नहीं की। कंपनी ने कहा कि यह महज अफवाह है।
पीई निवेशकों की तरफ से अपने सीसीपीएस को जीएमआर इन्फ्रा व जीएमआर एनर्जी की हिस्सेदारी में तब्दीली का मसला तब सामने आया जब इन निवेशकों ने पुट ऑप्शन के अपने अधिकार को लागू नहीं करने का फैसला किया, जो अगस्त 2013 में प्रभावी होता।
पुट ऑप्शन में धारकों को तय अवधि में विशेष कीमत पर प्रतिभूति बेचने का अधिकार मिलता है। जब धारक इस विकल्प का इस्तेमाल करता है तो शेयरधारक पहले से तय कीमत पर इसकी खरीद या बिक्री करने के लिए बाध्य होगा।
दबाव झेल रही जीएमआर इन्फ्रा के लिए यह कदम राहत के तौर पर सामने आया है, जो बढ़ते कर्ज को देखते हुए अपनी कुछ संपत्तियां बेचने की कोशिश कर रही है। जीएमआर इन्फ्रा के ऊपर करीब 41,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।अगर पीई निवेशकों ने पुट ऑप्शन का इस्तेमाल किया होता तो जीएमआर को उनसे पुनर्खरीद करनी होती, जो उनकी बैलेंस शीट पर ऐसे समय में और दबाव डालता जब कंपनी अपनी बिजली परियोजनाओं में वित्त वर्ष 2014 के दौरान इक्विटी मार्ग के जरिए 1700 करोड़ रुपये के निवेश पर विचार कर रही है।
समूह के कुल राजस्व करीब 10,000 करोड़ रुपये में बिजली क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है और पिछली कुछ तिमाहियों से यह परेशानी झेल रहा है क्योंकि इसके संयंत्र को गैस उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
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