शीर्ष अदालत ने राडिया टेप मामले में सुनवाई शुरू की | |
भाषा / नई दिल्ली 08 29, 2013 | | | | |
उच्चतम न्यायालय ने कंपनियों नीरा राडिया टेलीफोन टैपिंग प्रकरण में बंद कक्ष में सुनवाई शुरू की। न्यायालय इस मामले में केंद्र सरकार के दृष्टिकोण को समझना चाहता है और उन 'अति गोपनीय' कागजों पर भी गौर करना चाहता है जिनके आधार पर कंपनियों के लिए लॉबिंग करने वाली इस महिला के फोन पर वार्तालापों को रिकॉर्ड किया गया था।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा की पीठ ने 27 अगस्त को फैसला किया था कि इस मामले में बंद कमरे में सुनवाई की जाएगी जिसमें सरकारी वकील और सीबीआई तथा आयकर विभाग सहित सरकार के अधिकारियों को छोड़ कर बाहरी वकीलों और मीडिया के लोगों को अंदर आने की अनुमति नहीं होगी।
हालांकि, सुनवाई अदालतों में संवेदनशील मामलों में बंद कमरे में सुनवाई आम बात है, लेकिन हाल के वर्षों में उच्चतम न्यायालय में दूसरी बार इस तरह की सुनवाई हो रही है। पिछली बार शीर्ष अदालत ने 1996 में हवाला मामले में ऐसी सुनवाई की थी।
शीर्ष अदालत ने यह देख कर बंद कमरे में सुनवाई का फैसला किया है कि यदि इस मामले से संबंधित विभिन्न रिपोर्टों की विवादास्पद और संवेदनशील सूचनाएं यदि सार्वजनिक हो गईं तो इससे राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंच सकता है और कुछ लोगों पर आरोप सिद्ध हुए बिना ही उनकी छवि मलिन हो सकती है।
बंद कमरे में आज की सुनवाई सरकार की गोपनीय रिपोर्ट और इस मामले में सरकार के जवाब पर विचार कर रही न्यायालय की पीठ तक ही रहेगी।
नीरा राडिया की फोन वार्ताओं की टैपिंग 16 नवंबर 2007 को वित्त मंत्री को मिली एक शिकायत के आधार पर शुरू की गई थी। शिकायत में कहा गया था कि राडिया ने नौ साल के भीतर 300 करोड़ रुपये के कारोबार का साम्राज्य खड़ा कर लिया है।
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