सरकार ने 18 महीने से भी कम समय में बिजली क्षेत्र के विकास की राह में एकमात्र बड़ी बाधा ईंधन आपूर्ति की समस्या का समाधान कर लिया है। पिछले साल फरवरी में निजी क्षेत्र की 20 बिजली कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों ने र्ईंधन किल्लत की घोषणा करते हुए कहा था कि इससे बिजली क्षेत्र में निवेशकों का भरोसा डगमाया है। उस समय मुख्य कार्याधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), वित्त मंत्रालय, योजना आयोग, कोयला मंत्रालय और बिजली मंत्रालय के सामने यह मुद्दा उठाते हुए शिकायत की थी कि ईंधन आपूर्ति करार (एफएसए) के अभाव में हजारों करोड़ रुपये का ताजा निवेश व्यावहारिक नहीं होगा। कोल इंडिया 6 सितंबर तक अप्रैल 2009 से 2015 के बीच चालू होने वाली 78,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता की नई परियोजनाओं के लिए ईंधन आपूर्ति करारों पर हस्ताक्षर कर लेगी। इतनी बिजली उत्पादन क्षमता के लिए ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कोल इंडिया को 131 एफएसए पर हस्ताक्षर करने होंगे। जबकि वह 42,000 मेगावॉट क्षमता की परियोजनाओं के लिए 92 एफएसए पर पहले ही हस्ताक्षर कर चुकी है। मार्च 2009 से पहले चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए ईंधन आपूर्ति समझौतों पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और अगले सप्ताह बड़े तादाद में एफएसए पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। इसके तहत हरेक बिजली संयंत्र के लिए ईंधन लिंकेज सुनिश्चित किया जाएगा चाहे वह परिचालन में हो या उसे 2015 तक परिचालन में आने की संभावना हो। अगले सप्ताह होने वाले ईंधन आपूर्ति करार से जिन बिजली कंपनियों को फायदा होगा उनमें अदाणी पावर, जीएमआर एनर्जी, लैंको पावर, डीबी पावर लिमिटेड और वेदांत समूह की तलवांडी पावर प्रमुख हैं। ईंधन आपूर्ति की समस्या का हल निकलने से हाल में रिकॉर्ड बिजली उत्पादन संभव हो सका है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश में 20,622 मेगावॉट क्षमता जोड़ी गई थी जो 17,956 मेगावॉट के लक्ष्य से 2,666 मेगावॉट अधिक है। जबकि जून 2013 को समाप्त तिमाही के दौरान 2,512 मेगावॉट अतिरिक्त क्षमता हासिल की गई है जिससे 12वीं योजना के पहले 15 महीनों के दौरान कुल 23,134 मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता हासिल की गई है। यह 88,000 मेगावॉट के कुल लक्ष्य का 26.2 फीसदी है। साथ ही करीब 60 फीसदी क्षमता अकेले निजी क्षेत्र ने जोड़ी जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है और यह ऐसे समय में हुआ जब निवेशकों का भरोसा कम बताया जा रहा था। आश्चर्य नहीं है कि राज्यों के बीच बिजली किल्लत में उल्लेखनीय कमी आई है। छह राज्य और केंद्र शासित प्रदेश- चंडीगढ़, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, दादर व नागर हवेली, लक्ष्यद्वीप और सिक्किम में जून में बिजली की शून्य किल्लत दर्ज की गई। जबकि छह अन्य राज्यों में बिजली किल्लत 1 फीसदी से कम रही। इन राज्यों में राजस्थान (0.4 फीसदी), गुजरात (0.1 फीसदी), ओडिशा (0.2 फीसदी), पश्चिम बंगाल (0.5 फीसदी), मणिपुर (0.9 फीसदी) और मेघालय (0.4 फीसदी) शामिल हैं। हाजिर बाजार में बिजली की कीमतों में करीब 2 रुपये प्रति यूनिट की रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है। जून तिमाही के अंत तक ई-नीलामी में कोयला की कीमतों में 15 से 20 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई।
