कमजोर रुपये से आयात को लेकर सतर्क हुए रिटेलर | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली August 26, 2013 | | | | |
रुपये में गिरावट के थमने के आसार न दिखने के कारण रिटेलर आयातित वस्तुओं के भंडारण करने से परहेज करने लगे हैं। उनका कहना है कि आयातित वस्तुओं की लागत काफी बढ़ गई है और इसलिए उनके बदले स्थानीय बाजार से आपूर्ति बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
पिछले तीन महीनों के दौरान रुपया 15 फीसदी तक टूट चुका है जिससे आयातित वस्तुओं की कीमतों में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। इन आयातित उत्पादों की बिक्री करने वाले रिटेलरों का कहना है कि वास्तवित मूल्य वृद्धि का तभी पता चलेगा जब उनके गोदामों में नई खेप की आवक होगी। फिलहाल अग्रिम बुकिंग के अनुसार कीमतों में करीब 5 फीसदी का इजाफा देखा गया है।
जानकारों के मुताबिक आयातित उपभोक्ता टिकाउ, परिधान, खाद्य उत्पाद, फर्नीचर आदि की बिक्री करने वाले रुपये के अवमूल्यन से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। आर्थिक मंदी और रुपये के अवमूल्यन के बीच रिटेलरों को अपने माल की बिक्री में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। शॉपर्स स्टॉप की हाइपरमार्केट शृंखला हाइपरसिटी के मुख्य कार्याधिकारी मार्क ऐशमैन ने कहा, 'हमारी टीम नई कीमतों में उतार-चढ़ाव पर नजर रख रही है। हमें संभवत: इस पर विचार करना होगा कि पहले जैसे सभी उत्पादों का आयात जारी रखना चाहिए या नहीं। हमें प्रतिस्पर्धी होने की जरूरत है।Ó
बच्चों और माताओं के लिए परिधान बेचने वाली शृंखला 'मॉम ऐंड मीÓ का संचालन करने वाली कंपनी महिंद्रा रिटेल के प्रबंध निदेशक के वेंकटरामन ने कहा कि यदि रुपये में अवमूल्यन जारी रहता है तो उन्हें मूल्य वृद्धि पर विचार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, 'हालांकि गुणवत्ता और मजबूती प्रभावित होने के कारण हम एक हद से आगे समझौता नहीं कर सकते हैं।Ó
मॉम ऐंड मी में बिकने वाले करीब 40 फीसदी उत्पाद आयातित होते हैं। मॉम ऐंड मी में उत्पादों के दाम करीब 5 फीसदी तक बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि रुपये में अवमूल्यन जारी रहने पर भविष्य में दाम 10 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। किशोर बियाणी प्रवर्तित फ्यूचर समूह का नजरिया भी लगभग समान है। फ्यूचर समूह की कुल बिक्री में आयातित वस्तुओं का योगदान करीब 5 फीसदी है।
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