रुपया बेसहारा, बाजार भी हुआ बेचारा | |
बीएस संवाददाता / मुंबई 08 21, 2013 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ाने और बैंकों को मार्क-टू मार्केट घाटा कम करने के प्रावधान के बावजूद बाजार खुश नहीं हुआ। डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट से शेयर बाजार में भी दबाव देखा गया वहीं बॉन्ड की प्राप्तियों पर भी दबाव रहा।
बुधवार रात होने वाली अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले निवेशकों की नजरें वहीं टिकी रहीं, क्योंकि उन्हें आशंका है कि फेडरल रिजर्व जल्द ही प्रोत्साहन पैकेज वापस ले सकता है। इससे भारत सहित उभरते बाजारों से डॉलर का प्रवाह बढ़ सकता है। कारोबारियों का कहना है कि रिजर्व बैंक ने हाजिर और वायदा मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के बावजूद बुधवार को रुपया करीब 2 फीसदी गिरकर रिकॉर्ड 64.54 के निम्नतम स्तर तक चला गया था। दिन भर के कारोबार के दौरान रुपये में करीब 151 पैसे की गिरावट आई थी हालांकि बाद में यह थोड़ा संभला और 64.04 पर बंद हुआ। रुपये में गिरावट से शेयर बाजार ने अपनी शुरुआती बढ़त गंवा दी और गिरावट पर बंद हुआ। मंगलवार को आरबीआई के कदम से बुधवार सुबह बैंकिंग शेयरों में अच्छी तेजी देखी गई लेकिन बाद में रुपये में कमजोर के कारण बिकवाली का दबाव बढ़ गया। कारोबार की समाप्ति पर बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 350.13 अंक गिरकर 17,905.91 पर बंद हुआ। इसी तरह नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 98.90 अंक गिरकर 5302.55 पर बंद हुआ।
एस्प्रितो सांतो सिक्योरिटीज इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी निक पोलसन-इलिस ने कहा, 'आरबीआई के कदम का बाजार पर बहुत असर नहीं हुआ। निवेशकों की धारणा अर्थव्यवस्था और बाजार को लेकर अब भी कमजोर बनी हुई है।Ó
पिछले चार कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स करीब 1,400 अंक लुढ़क चुका है, जिससे निवेशकों को करीब 4.35 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है। बुधवार को निवेशकों को करीब 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। बुधवार को संस्थगत निवेशकों ने 792 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की जबकि अगस्त में अब तक इन्होंने 919.80 करोड़ रुपये की बिकवाली की है।
डीलरों का कहना है कि आयातकों की ओर से डॉलर की मांग बढऩे के कारण रुपये में गिरावट का रुख बना हुआ है। कारोबार के दौरान रुपये में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। एक बार यह 64.63 के निचले स्तर तक लुढ़क गया था जबकि 63.12 के उच्च स्तर तक भी यह पहुंचा था। मेकलाई फाइनैंशियल के उप मुख्य कार्याधिकारी पार्थ भट्टïाचार्य ने कहा, 'अगर डॉलर की मांग बनी रहती है और एफआईआई का प्रवाह देश से बाहर बना रहता है तो रुपया 65.20 से 65.30 के आस पास पहुंच सकता है।Ó
चालू वित्त वर्ष में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 18 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। अगस्त की बात करें तो रुपया करीब 6 फीसदी कमजोर हुआ है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि रुपये में अभी और गिरावट आ सकती है। यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभद राव ने कहा, 'बाजार में गिरावट ममुख्य रूप से डॉलर के मुकाबले रुपये में आ रही कमजोरी के कारण है।Ó
बुधवार को सुबह के कारोबार में सरकारी बॉन्डों की प्राप्यिों में गिरावट आई और 10 साल की परिपक्वता वाले बेंचमार्क बॉन्डों की प्राप्यिां 8.21 फीसदी पर आ गईं। लेकिन बाद में रुपये में गिरावट बढऩे से बॉन्डों की प्राप्तियां 8.41 फीसदी पर बंद हुईं। मंगलवार को यह 8.90 फीसदी पर बंद हुआ था। डॉयचे बैंक ने अपने नोट में कहा है कि एक माह या इससे कुछ ज्यादा समय में रुपया 70 के स्तर को पार कर सकता है। हालांकि साल के अंत तक इसमें सुधार की संभावना है।
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