मंदी की गिरफ्त में आया एफएमसीजी | विवेट सुजन पिंटो / मुंबई August 14, 2013 | | | | |
ब्रिटानिया बेशक मंदी की आंच से अपने को बचाने में कामयाब रही हो लेकिन अन्य उपभोक्ता वस्तु कंपनियां मंदी से अपने को नहीं बचा पाई हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान मंदी का दबाव स्पष्टï तौर पर दिखा और इसने अन्य क्षेत्रों मसलन पूंजीगत वस्तुओं, बिजली, आधारभूत क्षेत्रों और वाहन क्षेत्रों के ऑर्डर को बुरी तरह प्रभावित किया है।
पिछले तीन सालों के दौरान देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) की बिक्री विकास दर जून में समाप्त तिमाही के दौरान सबसे कम 7 फीसदी रही। बाजार पर नजर रखने वाले विश्लेषकों के मुताबिक उपभोक्ताओं के बाजार से दूर रहने की वजह से समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी की बिक्री पर असर पड़ा। एचयूएल के बाद इस सूची में आईटीसी मौजूद है जिसकी बिक्री विकास दर जून तिमाही में उम्मीद से भी कम रही। जून तिमाही में कंपनी की शुद्घ बिक्री विकास दर 10 फीसदी रही।
कंपनी की सुस्त बिक्री की प्रमुख वजह सिगरेट की निराशाजनक बिक्री रही जिसमें 7.1 फीसदी की वृद्घि दर दर्ज की गई। गैर सिगरेट पोर्टफोलियो की वजह से कंपनी को पिछली कई तिमाहियों शानदार बढ़त मिली थी लेकिन अप्रैल से जून की अवधि के दौरान गैर सिगरेट पोर्टफोलियो की विकास दर भी 18.4 फीसदी रही जबकि विश्लेषकों का अनुमान 22 से 23 फीसदी का था।
तो फिर सवाल उठता है कि आखिरकार किस वजह से एफएमसीजी क्षेत्र में आईटीसी में गिरावट आई? एडलवाइस में शोध के एसोसिएट निदेशक अवनीश रॉय ने कहा कि इसकी वजह बिस्किट, साबुन और शैंपू जैसे उत्पाद हैं।
मंदी की स्थिति कायम रहने की वजह से सभी श्रेणियों पर असर पड़ रहा है। जून तिमाही में मुंबई की कंपनी मैरिको के उत्पाद पैराशूट की बिक्री विकास दर 4 फीसदी रही जो कि कंपनी के मुख्य उत्पादों में से एक है। कंपनी ने इसके लिए पिछले साल की अधिक बिक्री विकास दर और महाराष्टï्र में खुदरा बिक्री केंद्रों को बंद किए जाने को जिम्मेदार ठहराया। स्थानीय निकाय कर (एलबीटी) की वजह से हुए हड़ताल के कारण कंपनी को महाराष्टï्र जैसे प्रमुख बाजार के लिए यह फैसला लेना पड़ा।
एचयूएल के निवर्तमान प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी नितिन परांजपे ने कहा, 'सभी श्रेणियों में मंदी की स्थिति है खासकर प्रीमियम एंड और विवेकाधीन खर्च पर आश्रित खंडों में और यह कुछ समय तक जारी रहेगा।Ó खाद्य मुद्रास्फीति 5 फीसदी से नीचे आ चुकी है लेकिन अभी भी खुदरा महंगाई दर 9.6 फीसदी के स्तर पर बनी हुई है। इस वजह से उपभोक्ता हरसंभव कटौती का सहारा ले रहे हैं।
जिसका सीधा मतलब यह हुआ कि एफएमसीजी कंपनियों के लिए आने वाला समय आसान नहीं होगा कम से कम अगली तिमाही तक तो कोई राहत नहीं मिलने जा रही। फिर उपभोक्ता उत्पाद कंपनियां किस तरह से इन चुनौतियों का सामना कर रही हैं? कंपनियों बड़े पैमाने पर विज्ञापन और बिक्री प्रोत्साहन खर्च में कटौती कर रही हैं।
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