टीसीएस के चयन पर उठाए सवाल | सुरभि अग्रवाल और वृष्टि बेनीवाल / नई दिल्ली August 11, 2013 | | | | |
वित्तीय सेवा सचिव राजीव टकरू ने सभी डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) को स्वचालित व इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आपस में जोडऩे वाली 200 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को चुने जाने के अपने पूर्ववर्ती डी के मित्तल के फैसले पर सवाल उठाए हैं। यह परियोजना ऐसे समय में अनिश्चितता के भंवर में फंस गई है, जब देश बढ़ते खराब कर्ज (बैड लोन) की समस्या से जूझ रहा है।
वित्तीय सेवा विभाग की तरफ से पिछले वित्त वर्ष में जारी निविदा में देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी टीसीएस सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी के तौर पर उभरी थी। इसमें हालांकि विप्रो व टेक महिंद्रा को भी छांटा गया था। शुरुआती दौर में इस परियोजना में कई बड़ी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन सिर्फ तीन कंपनियों ने ही वित्तीय बोली सौंपी थी।
इस प्रगति से जुड़े लोगों का कहना है कि टीसीएस विभाग के पास गई थी और इस परियोजना के लिए कीमतें बढ़ाने को कहा था क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपये में आई भारी गिरावट से इसके द्वारा पहले पेश की गई लागत में काफी ज्यादा बदलाव आ गया है। टकरू ने 31 जनवरी को मित्तल से कार्यभार ग्रहण किया था। हालांकि टकरू की अगुआई वाले विभाग का कहना है कि अगर इस परियोजना की बोली दोबारा मंगाई जाती है तो और कंपनियां इसमें शामिल हो सकती हैं और डीएफएस और कम कीमत पर यह परियोजना प्रदान कर सकता है। विभाग को यह भी लगता है कि रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल मल्टी वेंडर वाला होना चाहिए, लेकिन जब काफी कंपनियां इस परियोजना से दूर रहीं तो इसका मतलब यह हुआ कि निविदा में कुछ न कुछ गलतियां जरूर थीं।
डीआरटी की मदद से वित्तीय संस्थानों के कर्ज की रिकवरी आसानी और सक्षमता में हो सकेगी, यानी इसमें तेजी आ जाएगी। यह परियोजना याचियों को ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा देगा। मामले की सुनवाई, नोटिस जारी होने, आदेश, ई-नीलामी भी ऑनलाइन हो सकेगी। संपर्क किए जाने पर टीसीएस ने इस मसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, इस परियोजना की निविदा दोबारा जारी हो सकती है या फिर इसे एकसाथ समाप्त किया जा सकता है। संपर्क किए जाने पर टकरू ने कहा, मामले की जांच चल रही है और जल्द इस पर फैसला होगा। उधर, मित्तल ने कहा कि निविदा में किसी तरह की गलती नहीं थी।
मित्तल ने कहा, हमने हर काम पारदर्शी तरीके से किया है। इस परियोजना से बैंंकिंग क्षेत्र की कार्यक्षमता में सुधार होगा। लेकिन इस परियोजना की देरी में कुछ निहित स्वार्थ काम कर रहे हैं। हालांकि अगर सरकार को लगता है कि इसमें गड़बड़ी है तो उन्हें इसकी बोली दोबारा मंगानी चाहिए और जल्द से जल्द इसे बंद करना चाहिए। देश में 32 डीआरटी है।
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