समान कर के पक्ष में पेट्रोलियम मंत्रालय | ज्योति मुकुल / नई दिल्ली August 06, 2013 | | | | |
घरेलू उपयोग के लिए गैर सब्सिडी प्राप्त एलपीजी के रसोई गैस बिक्री का हिस्सा बनने के बाद निजी कंपनियों को अब इस क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय भी व्यावसायिक एलपीजी के शुल्कों में समानता लाने की बात कर रहा है ताकि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और हैदराबाद की सुपर गैस जैसी कंपनियों को एलपीजी बाजार में आने का मौका मिल सके।
वरिष्ठï अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से देश में बेचे जाने वाले 1.5 करोड़ टन एलपीजी के मामले में उत्पाद और सीमा शुल्क को एक समान करने के लिए कहा है। फिलहाल इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन जैसी सरकारी कंपनियां घरेलू मकसद के लिए 1.4 करोड़ टन रसोई गैस की बिक्री करती है। इस एलपीजी (तरलीकृत पेट्रोलियम गैस) पर किसी प्रकार के कर का भुगतान नहीं करना होता है जबकि बाकी की गैस के लिए उत्पाद और सीमा शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। सरकार द्वारा बेचे जाने वाले एलपीजी और निजी कंपनियों के बीच केवल सब्सिडी ही एकमात्र मुद्दा नहीं है।
उत्पाद और सीमा शुल्क की मद में कीमतों में करीब 96 रुपये अतिरिक्त जोड़ा जाता है। आयातित एलपीजी की बिक्री पर निजी कंपनियों से 5 फीसदी सीमा शुल्क की वसूली जाती है जो कि प्रति सिलिंडर 33 रुपये बनता है जबकि 8 फीसदी उत्पाद शुल्क की वसूली की जाती है और यह प्रति सिलिंडर 63 रुपये बनता है।
अधिकारी ने बताया, 'हालांकि सरकार की यह मंशा नहीं है कि वह सब्सिडी के दायरे में गैर सरकारी कंपनियों को शामिल करे। अगर संग्रहित राजस्व का बंटवारा समान रूप से किया जाता है तो विचलन की स्थिति से बचा जा सकेगा और साथ ही व्यावसायिक एलपीजी की बिक्री में भी इजाफा होगा।Ó करों को समान किए जाने से तीनों ओएमसी द्वारा बेचे जाने वाले रसोई गैस की कीमतों में मामूली इजाफा होगा। तीनों कंपनियां की कुल बिक्री में हिस्सेदारी 95 फीसदी है। वहींं दूसरी तरफ बाकी की एलपीजी की कीमतों में भी कमी आएगी जो कि कर भुगतान के दायरे में आती है।
गुजरात, महाराष्टï्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रिलायंस के पास करीब 10 लाख उपभोक्ता हैं जबकि सुपर गैस का आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्टï्र और तमिलनाडु के इलाकों में काफी बड़ा नेटवर्क है।
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