भाजपा का 'सौदेबाजी' से इंकार | आदिति फडणीस / August 06, 2013 | | | | |
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बीमा विधेयक को संसद में मंजूर कराने के लिए उनकी पार्टी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के बीच किसी प्रकार की सौदेबाजी की बात से मंगलवार को इनकार किया। इस विधेयक से बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़कर 49 फीसदी तक पहुंच जाएगी।
इससे पहले शीर्ष भाजपा सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था कि आंतरिक स्तर पर इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया गया है और कुछ शर्तों के साथ भाजपा इस क्षेत्र को उदार बनाने के लिए मदद करने को राजी है।
हालांकि सिन्हा ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि भाजपा ने अपने उस पुराने रुख को बदल दिया है कि सरकार को 26 फीसदी एफडीआई सीमा तय करनी चाहिए, जैसा वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने सुझाव दिया था।
सिन्हा ने कहा कि पार्टी ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बताया था कि उन्हें संसद के सत्र में बीमा विधेयक नहीं पेश करना चाहिए, क्योंकि विपक्ष इसे पारित नहीं होने देगा।
भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, 'ऐसी खबरें हैं कि वित्तीय विधेयकों को पारित कराने पर सरकार और भाजपा के बीच समझौता हो गया है। इन विधेयकों पर इस तरह का कोई समझौता नहीं हुआ है। हम सरकार के साथ कोई सौदेबाजी करने के मूड में नहीं हैं।Ó
चिदंबरम ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से वार्ता की थी, तो उन्हें राज्यसभा में उनके समकक्ष अरुण जेटली और सिन्हा से भी पिछले सप्ताह बात की थी और बीमा व पेंशन विधेयकों के लिए सहयोग मांगा था।
पूर्व वित्त मंत्री सिन्हा ने कहा, 'बैठक में वित्त मंत्री चिदंबरम को स्पष्ट बता दिया गया था कि संसद के इस सत्र में बीमा विधेयक के पारित होने की कोई संभावना नहीं है। हम संप्रग सरकार के साथ किसी तरह की सौदेबाजी नहीं करना चाहते हैं।Ó
हालांकि सिन्हा ने 'सौदेÓ के दूसरे भाग से इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) विधेयक को समर्थन देने का दावा कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह पहल वैसी ही है, जैसा मसौदा राजग सरकार ने तैयार किया था।
सिन्हा ने कहा, 'इस सरकार ने 2004 से पेंशन विधेयक को लटका रखा है। हमने इस विधेयक में दो संशोधनों का सुझाव दिया था, जिस पर सरकार सहमत थी।Ó
भाजपा ने सुझाव दिया कि 26 फीसदी सीमा को पेंशन विधेयक का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। दूसरा विधेयक में सब्सक्राइबरों के लिए निश्चित रिटर्न सुनिश्चित करना चाहिए।
भले ही संप्रग के पास लोकसभा के साथ ही द्रमुक के समर्थन और जदयू व भाजपा की साझेदारी टूटने के बाद राज्य सभा में भी बहुमत है, लेकिन अगर बीमा विधेयक जैसे वित्तीय विधेयक संसद के इस सत्र में पेश किए जाते हैं तो यह सरकार का साहसी फैसला होगा। हालांकि वित्त मंत्री पी चिदंबरम पहले ही बीमा विधेयक और पेंशन विधेयक को संसद में पेश किए जाने के संकेत दे चुके हैं।
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