गुजरात में एक-तिहाई विद्युत उत्पादन क्षमता ठप पड़ी है | |
बीएस संवाददाता / वडोदरा 07 26, 2013 | | | | |
गुजरात में परंपरागत स्रोतों की एक-तिहाई से ज्यादा विद्युत उत्पादन क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह राज्य में बिजली की मांग और गैस की उपलब्धता कम होना है। गुजरात सरकार के अधिकारियों ने यह सूचना शुक्रवार को दी।
कोयला और गैस की स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता 17,300 मेगावॉट है, जिसमें से 6,500 मेगावॉट क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। गुजरात के ऊर्जा और पेट्रोरसायन मंत्री सौरभ पटेल ने कहा, 'गैस न मिलने के कारण गुजरात की गैस आधारित 5,000 मेगावॉट क्षमता अनुपयोगी पड़ी है, जिस पर करीब 20,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।Ó वे वडोदरा में आज वड़ोदा मैनेजमेंट एसोसिएशन (बीएमए) द्वारा आयोजित उद्योग के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। पटेल ने कहा, 'गैस आधारित विद्युत संयंत्रों की अनुपयोगी पड़ी क्षमता के लिए केंद्र की नीतियां जिम्मेदार हैं। केंद्र की गलत नीतियों की वजह से हमें सस्ती गैस नहीं मिल पाती।Ó
सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि बिजली के खरीदार न होने की वजह से 1,500 मेगावॉट के कोयला आधारित विद्युत संयंत्र पिछले छह महीने से ज्यादा समय से बंद पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य की बिजली की मांग अधिकतम 12,350 मेगावॉट है। कार्यक्रम से इतर पटेल ने संवाददाताओं को बताया, 'गैस आधारित अनुपयोगी पड़ी विद्युत क्षमता से स्थायी लागत के रूप में हर साल 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।Ó एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'अन्य कोयला आधारित 1,500 मेगावॉट क्षमता बिजली खरीदार न होने के कारण पिछले छह महीने से अनुपयोगी पड़ी है। संयंत्रों के बंद रहने से स्थायी लागत के रूप में 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।Ó
सूत्रों के मुताबिक राज्य खुले बाजार में बिजली नहीं बेच पा रहा है, क्योंकि वहां मांग कम है। पटेल ने कहा, 'दक्षिणी भारत में बिजली की किल्लत है। लेकिन इस बाजार की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि दक्षिणी पारेषण कॉरिडोर और पश्चिमी कॉरिडोर में कोई संपर्क नहीं है।Ó
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